लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों की सेहत का ख्याल रखते हुए संसद की कैंटीन के मेन्यू में बड़ा बदलाव किया है। अब यहां मिलने वाले भोजन में पौष्टिकता को सबसे ऊपर रखा जाएगा। देश में लगातार स्वास्थ्य और फिटनेस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते फोकस के तहत यह कदम अहम माना जा रहा है।
पौष्टिक भोजन की दिशा में बड़ा कदम
संसद कैंटीन में अब रागी, ज्वार, बाजरा जैसे पारंपरिक लेकिन अत्यधिक पौष्टिक मोटे अनाज से बने व्यंजन उपलब्ध होंगे। प्रोटीन से भरपूर सूप, उबली सब्जियां, ग्रिल्ड मछली और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ मेन्यू का हिस्सा होंगे। इसके साथ ही अब व्यंजनों में कम से कम कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी और सोडियम रखने की नीति अपनाई गई है, जिससे भोजन न केवल स्वादिष्ट बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी रहेगा।

व्यंजन होंगे पोषण के मानकों पर खरे
संसद की नई डायट गाइडलाइंस के अनुसार, हर व्यंजन को इस तरह तैयार किया जाएगा कि वह कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी में कम हो, सोडियम की मात्रा नियंत्रित हो, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर हो, वसा की मात्रा न्यूनतम हो और सबसे जरूरी, स्वास्थ्य के उच्चतम पोषण मानकों पर खरा उतरे। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से मेन्यू को संतुलित और डायट फ्रेंडली बनाया गया है।
सभी मंत्रालयों की कैंटीन में भी लागू होंगी ये गाइडलाइंस
सिर्फ संसद तक सीमित न रहते हुए, सभी मंत्रालयों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने कार्यालयों की कैंटीन में भी ऐसे ही भोजन उपलब्ध कराएं जो सेहतमंद हों। फास्ट फूड की उपलब्धता कम से कम रखने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, मोटे अनाज, सब्जियों और कम वसा वाले विकल्पों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र के सभी कर्मचारी, मंत्री, सांसद, अधिकारी , अपनी फिटनेस पर ध्यान दें और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
मोदी सरकार की सेहत पर मुहिम से जुड़ा है यह कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर स्वस्थ भारत अभियान, फिट इंडिया मूवमेंट और पोषण मिशन के तहत देश की जनता से सेहतमंद खानपान अपनाने की अपील करते रहे हैं। उनका यह भी मानना है कि यदि देश को विकसित बनाना है तो जनता को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना बेहद आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने खुद कई बार कहा है कि फिटनेस और हेल्दी लाइफस्टाइल सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी उतना ही जरूरी है। संसद के भोजन में किया गया यह बदलाव उसी दिशा में उठाया गया एक प्रेरणादायक कदम है।
फिटनेस पर ध्यान
संसद में मेन्यू में बदलाव सिर्फ खाने-पीने का मामला नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि अब सरकार और नेतृत्व वर्ग स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानते हैं। यह बदलाव केवल नेताओं और अधिकारियों की फिटनेस के लिए नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि जब शीर्ष नेतृत्व खुद सेहतमंद आदतें अपनाता है, तो जनता भी उनसे प्रेरणा ले सकती है।