मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर मे एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था ने जनहित याचिका दायर करके मध्य प्रदेश मे ओबीसी वर्ग को एस.सी. एवं एस.टी. के समान अनुपातिक आरक्षण दिए जाने की राहत चाही गई है। याचिका मे उठाए गए मुद्दो के समर्थन मे बताया गया है कि, सैकड़ो वर्ष पुरानी भारतीय वैदिक सामाजिक व्यवस्था मे आज के सम्पूर्ण ओबीसी वर्ग को शूद्र वर्णित किया गया है, जिनका मण्डल आयोग ने वैदिक साहित्यों का अध्ययन करके शूद्र वर्णित जातियो को ओबीसी की सूची मे शामिल किया गया है।
आयोग ने वैदिक सभ्यता मे व्याप्त सामाजिक विषमता तथा भेदभाव को वर्तमान आरक्षण का मूल आधार बताया गया है। सदियो पुरानी असमानता वाली सामाजिक व्यवस्था को दूर किए जाने के उद्देश्य से महात्मा ज्योतिवराव फुले द्वारा विलियम हंटर आयोग के समक्ष वर्ष 1882 मे आरक्षण की मांग की गई थी।
याचिका मे आगे आरक्षण के समवंध मे तत्कालीन मैसूर राज्य के महाराजा वाडियार के द्वारा वर्ष मे 1919 मे गठित किया गया मिलर कमीशन की अनुषंशाओ को याचिका मे रेखांकित किया गया है तथा वर्ष 1932 मे ब्रिटिश भारत के लिए नया संविधान बनाने के उद्देश्य से इंग्लैंड मे आयोजित, गोलमेज़ सम्मेलन मे आरक्षण पर किए गए विचार विमर्श के आधार पर याचिका मे ओबीसी वर्ग को आनुपातिक आरक्षण का हकदार बताया गया है।
याचिका मे 26/01/1950 से संविधान लागू होने से आजाद भारत मे ओबीसी वर्ग को आरक्षण के अधिकारो से संवन्धित, काका कालेलकर, मण्डल आयोग, महाजन आयोग तथा गौरीशंकर बिशेन आयोग की रिपोर्टों का याचिका मे हावाला दिया गया है। उक्त याचिका की दिनांक 16/7/2014 को कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ़ की खंडपीठ द्वारा प्रारम्भिक सुनवाई की गई, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा की ओबीसी आरक्षण से संवन्धित इस कोर्ट मे लगभग 80 याचिकाए विचारधीन है तो इस जन हित याचिका को क्यो स्वीकार किया जाए।
तब याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओ ने कहा की उक्त याचिकाए सारहीन हो चुकी है जो निरस्त किए जाने योग्य है तब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को केस मे मेरिट पर तर्क किए जाने को कहा गया, अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने कहा कि जितने भी पूर्व में याचिकाएं दायर किया गया है उनमें ओबीसी आरक्षण को 27% से 14% कम करने के लिए है। वर्तमान याचिका उनसे अलग। इस याचिका मे ओबीसी कैटेगरी आरक्षण को 27% से बढ़ा कर जनसंख्या के अनुपात में 50% करने का अनुतोष चाहा गया है।
उक्त प्रकरण मे मेरिट पर वहस की गई तब याचिका मे उठाए गए मुद्दो की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण की पूर्व से विचारधीन समस्त याचिकाओ को इस जनहित याचिका से लिंक करके आगामी सुनवाई दिनांक 19.7.2024 नियत कर दी गई है। याचिका कर्ता की ओर से पैरवी विनायक प्रसाद शाह , रामेश्वर सिंह ठाकुर, परमानंद साहू, पुष्पेंद्र शाह रूप सिंह मरावी ने की।