दिनांक 09 जुलाई 2024 के समाचार पत्रों मे एक समाचार आया था की दिल्ली मे एक मेला लगा था जिसमे 55 कृषक उत्पादन संघठन (एफ़पीओ) ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए थे। इसी मेले मे एफ़पीओ के उत्पाद देखने के बाद माननीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन एफ़पीओ को प्रोत्साहित करते हुए कहा की सरकार का लक्ष्य एफ़पीओ को आत्मा निर्भर बनाना है जिससे की क्षेत्र के किसानो का समृद्धि एवं सशक्तिकरण हो।
इस अवसर पर उन्होने कहा की वे सरकार के 10000 एफ़पीओ योजना के सभी एफपीओ की गहन समीक्षा करेंगे ताकि उनकी प्रगति को समझा जा सके और उन कमियों की पहचान की जा सके जहां उन्हें अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है। उन्होने आगे यह भी कहा की ये समीक्षा कार्यान्वयन संस्था (एसएफ़एसी, नाबार्ड) आदि से करवाया जाएगा।
ज्ञानतव्य हो की इस 10000 एफ़पीओ योजना का मध्यावधि समीक्षा मार्च 2024 मे हो जाना था, जो अभी तक प्रारम्भ ही नहीं हुआ। मंत्री महोदय ने इस मध्यावधि समीक्षा की घोषणा किया है या फिर आँय कोई जांच भी वो करवाना चाहते है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है अभी। भोपाल के एक पूर्व बैंकर एवं एफ़पीओ विशेषज्ञ श्री शाजी जॉन के अनुसार यह मध्यावधि समीक्षा सिर्फ एक दिखावा होगा, जिसकी रिपोर्ट कभी बनेगी और प्रकाशित नहीं होगी।
शाजी जॉन के अनुसार इस 10000 एफ़पीओ योजना के 80% एफ़पीओ डूबने के कगार पर है, और इनके डूबने का मुख्य करना कार्यान्वयन संस्थाओं (नाबार्ड, एसएफ़एसी, कृषि विभाग) आदि की उदासीनता एवं नकारापन है। शाजी जॉन पिछले छह माह से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से इन संस्थाओं से एफ़पीओ की जानकारी प्राप्त कर रहे है।
अभी तक शाजी जॉन 1200 से अधिक आरटीआई इन संस्थाओं को भेज चुके और आरटीआई के प्राप्त जवाब से यह स्पष्ट प्रतीत होता है की नाबार्ड और एसएफ़एसी ने उनको दिये गए कार्यों का 10% कार्य भी नहीं किया। इन संस्थाओं के कार्य के प्रति लापरवाही ही एफ़पीओ क्षेत्र की दुर्दशा का कारण है, और माननीय मंत्री महोदय को यह सूचित करना आवश्यक है की जिन संस्थाओं ने योजना को बर्बाद किया, उनसे जांच करवाना गलत है, एवं अच्छे परिणाम की आशा करना बेमानी है।
शाजी जॉन ने यह भी कहा की माननीय मंत्रीजी का कहना की “सभी एफ़पीओ की गहन समीक्षा करेंगे” का कार्य कम से कम एसएफ़एसी और नाबार्ड जैसे संस्था तो कभी भी ईमानदारी से नहीं कर सकते। शाजी जॉन ने आगे बताया की चूंकि वो जानते है की समीक्षा का कार्य एसएफ़एसी और नाबार्ड नहीं कर सकती, इसलिए उन्होने आरटीआई मे एफ़पीओ से संबन्धित ऐसे ही सवाल पूछे है जिससे की एफ़पीओ की समीक्षा हो जाये।
उनका कहना है, की एसएफ़एसी और नाबार्ड ईमानदारी से एफ़पीओ की सही जानकारी दे देंगे, तो उनके द्वारा जानकारी का विश्लेषण कर एफ़पीओ को जीवंत करने का उपाय एवम एक्शन प्लान बनाकर दिया जा सकता है। इसी के मद्देनजर शाजी जॉन द्वारा एफ़पीओ की जानकरी प्राप्त करने के लिए आरटीआई लगाया जा रहा है, और अभी तक वो लगभग 60 एफ़पीओ की जानकारी नाबार्ड और एसएफ़एसी से मांग चुके है।
विडम्बना देखिया की यही संस्था जो एफ़पीओ के विकास के लिए जिम्मेदार है, वो श्री शाजी जॉन के साथ सहयोग कर एफ़पीओ क्षेत्र को डूबने से बचाने के प्रयास करने के बजाए, शाजी जॉन को बदनाम कर उनके सवालों से बचने की कोशिश कर रहे है। स्थिति या है कि जिन एफ़पीओ की जानकारी मांगी गई, उस जिले के डीडीएम को ज़िम्मेदारी दे दिया गया है की वो संबन्धित सीबीबीओ के साथ मिलकर पूरा लीपा पोती कर लें। नाबार्ड और एसएफ़एसी की खासियत यह है की वो कभी भी अपनी कमी नहीं मानेंगे, और उनमे यह क्षमता है की वो दो – चार एफ़पीओ की सफलता के गाने गा गा कर लोक प्रतिनिधियों और मीडिया को बरगला सकते है।
शाजी जॉन ने यह भी बताया की उन्होने माननीय कृषि मंत्री महोदय को एक पत्र भी भेजा है जिसमे उन्होने 10000 एफ़पीओ योजना मे हुए गलतियाँ एवं घोटालों की जांच का आग्रह किया है, एवं इससे संबन्धित रिपोर्ट माननीय मंत्री महोदय को व्यक्तिगत रूप से सौंपने की बात कही थी।
अभी तक कृषि मंत्री कार्यालय से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है, हालांकि शाजी जॉन अभी भी आशान्वित है। क्या मीडिया या अन्य कोई, माननीय कृषि मंत्री महोदय से एसएफ़एसी और नाबार्ड को एफ़पीओ योजना कि समीक्षा / जांच से बाहर रखने कि बात कहेंगे? या फिर जिन्होने बर्बाद किया, उन्हे ही समीक्षा कि ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी?