ऋषभ कुमार भीलवाड़ा
7 जुलाई को हमने श्रीखंड ट्रेक शुरू किया था। ऑफिशियली यात्रा भी 7 जुलाई से ही शुरू हुई थी मतलब हम पहले जत्थे में गए थे। श्रीखंड यात्रा को भारत की सबसे खतरनाक और दुर्गम यात्रा बताई जाती हैं लेकिन मुझे इस बात पर भरोसा नहीं था और पहले ही दिन के ट्रेक से ही हमें पता लग गया कि कैलाश मानसरोवर,एवरेस्ट बेस कैंप की पैदल यात्रा तो इसके सामने कुछ नहीं हैं।यहां केवल चढ़ाई ही चढ़ाई मिलती हैं वो भी एकदम खड़ी। जबकि अन्य ट्रेक में उतार,चढ़ाव, प्लेन रास्ते सब मिलते हैं तो शरीर को ज्यादा दुख नहीं उठाना पड़ता हैं।
अब बात करते हैं दूसरे दिन की।पहले दिन ही हम रात के 9 तक चढ़ते रहे और कालीटोप नाम की जगह (18km)तक पहुंच गए ।दूसरे ही दिन जैसे ही चढ़ाई शुरू की ,तेज बारिश शुरू हो गई।हम एक टेंट में रुके,लेकिन बारिश बिलकुल नहीं रुकी,2 घंटे,10 घंटे,18 घंटे,30 घंटे निकल गए और हम वही पड़े रहे।10 आदमी के टेंट में हमने तेज बारिश और खतरनाक हवाओं के बीच जंगल में हम 25 लोग फंसे रहे।सारी रात सो ना पाए,लगभग बैठे ही रहे,पास का एक टेंट उड़ गया और वो लोग रात भर भीगते रहे।पूरे टेंट में कही ना कही पानी गिरता रहा।हम जैसे तैसे एक दूसरे के उपर पैर रख कर सो गए,टेंट हवाओं के झोंको से डरते रहे। अत्यधिक डरावनी रात थी।
अगले दिन सुबह से नेगेटिव जानकारी मिलने लगी कि आगे उपर बर्फीले ग्लेशियर पर लोग फिसल कर मर गए, हार्ट अटैक आ गया। बारिश रुकी नहीं,हमने सोचा थोड़ी रिस्क लेते हैं और यही टेंट में जैसे तैसे एकाध दिन निकालते हैं। हमारे कपड़े,मोजे,जूते,कपड़े, बेग सब रात भर में गिले और गंदे हो चुके थे।फोन का नेटवर्क भी नहीं था।हमने अगले दिन भी इंतजार करने का सोचा लेकिन अधिकतर उपर से लौट रहे यात्रियों ने बताया कि उपर ग्लेशियर टूट चुका हैं और बारिश की वज़ह से लोगों को आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा हैं।
उन्होंने बताया कि हाल बुरा होने वाला हैं जान प्यारी हैं तो तेज बारिश में ही वापस लौट जाओ।हम 30 घंटे तक इतने मानसिक रूप से पागल हो चुके थे कि अब हमने भी लौटने का सोचा।दो दिन तक भयंकर बारिश में लगातार चल कर आज हम बेस कैंप “जाओ” तक पहुंचे। रास्ते में लोगों के मरने और जगह जगह भूस्खलन की जानकारी मिलती रही।हमारे रास्तों में भी भुस्कल्न मिला,जिसकी वजह से हमें कई जगह ज्यादा चढ़ाई कर के लौटना पड़ा।
मूसलाधार बारिश से हर तरफ ट्रेक पर खतरा रहा, फिसलन काफी थी,ट्रेक अतिदुर्गम हो गया था।केवल मैं जानते हैं कि कैसे मैं एक दलदल में ढाई फीट तक धस गया,कैसे एक जगह फिसलन में अटक गया और कैसे भागे–भागे हम खतरनाक भूस्खलन के मलबे से निकले। उसके बाद भी अंत तक हमें “जाओ” गांव से आगे भी ट्रेक करना पड़ा। नीचे पहुंचे तब तक पता चला कि पूरे उत्तर भारत में बारिश ने तबाही मचा रखी हैं स्पेशली हिमाचल में और श्रीखंड यात्रा को अब बंद कर दिया गया हैं।
चार दिन से बिना नहाए,एक ही कपड़ों में लगातार बारिश में खतरनाक ट्रेक करने के बाद आज शाम को हम टैक्सी करके रामपुर पहुंच गए यह हमारी किस्मत थी क्योंकि रास्तों में भूस्खलन हुआ पड़ा था और हम अगर आज नहीं निकल पाते तो कुछ दिन उधर ही पड़ा रहना पड़ता। अभी हम रामपुर बुशहर की एक शानदार होटल में हैं।मेरे हाथों में करीब 7 से 8 जगह छोटे छोटे कट लगे हुए हैं जो बारिश में खुद को बचाने के लिए पेड़ों को पकड़ने से लगे थे,पैरो के 2 नाखून सूज चुके हैं और काले पड़ गए हैं। पैर में काफी जगह छोटी छोटी चोट हैं जो आज ही लगी हैं। हमने किन्नौर कैलाश की यात्रा का भी प्लान बनाया था लेकिन अब सब कैंसिल,ना हमारी हालत हैं और ना इन यात्राओं पर जाने दिया जा रहा है।
फिलहाल हमें चंडीगढ़ से मुझे भीलवाड़ा आना हैं लेकिन चंडीगढ़ में तो रिकॉर्ड तोड बारिश की वजह से पानी भरा हुआ है और ट्रेन व बस भी कैंसल बताई जा रही हैं।प्लस, चंडीगढ़ तक के रास्ते में जाम और भूस्खलन हुआ पड़ा हैं। अब जल्दी से जल्दी हिमाचल से निकलने की कोशिश हैं क्योंकि यहां हर जगह बारिश हैं और कई जगहों पर तबाही हैं। काफ़ी घटनाएं हैं बताने को,यूट्यूब के लिए विडियोज भी हैं।जल्दी ही शेयर किए जाएंगे