जवाहरलाल राठौड़
मैं यहां जो कुछ लिख रहा हूं वह कोई काव्य रचना अथवा रूपक नहीं है व्यक्ति पूजा (जो मैंने जीवन भर नहीं की) और स्तुति गान भी नहीं है यह हकीकत है जो हमारे प्रिय साथी /मित्र अभय छजलानी को भारत सरकार द्वारा इस वर्ष पद्मश्री से नवाजे जाने के आधार तत्व पर प्रकाश डालने के सदुद्देश्य से प्रसंगवश लिखी गई है। इन दिनों असम के इंदौरवासी खूब उल्लसित है। मौसम भी मद- मदमस्त करने वाला है। एक तरफ है सुखद /मादक बसंती बयार।
पतझड़ के पश्चात प्रकृति पहन रही है अंकुरित आकर्षक गहने, जीने निहार कर निहाल होते हैं पर्यावरण प्रकृति प्रेमीजन। ऐसे आनंदित करने वाले प्राकृतिक परिवेश में यहां इस समय (फरवरी/मार्च 2009) सुबह से लेकर, देर रात तक जगह जगह की जा रही है पुष्प वर्षा और भेंट किए जा रहे हैं असंख्य खिले अधफूलों से सुसज्जित गुलदस्ते। देव पूजा समान परिदृश्य। बेशुमार सुगंधित पुष्टिवर्धनम बिरंगे खूबसूरत फूलों से भर रहा है एक श्रेष्ठ इंसान का दामन दिन-रात। उस रिश्ते इंसान का शुभ नाम है अभय चंद्र छजलानी।
अभय जी का नाम जुबान पर आते ही हमारे जेहन में उभर आता है एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी विश्वसनीय और उच्च कोटि के श्रमशील पत्रकार और कुशल प्रबंधक का चेहरा। पर्यावरण एवं प्रकृति प्रेमी होने के साथ ही, वे संवेदनशील समाजसेवी भी है। मैं समझता हूं कि इन्हें विशेषताओं और सद्गुणों के कारण उन्हें पद्मश्री राष्ट्रीय अलंकरण से नवाजा गया है। स्वभाविक ही उनके प्रेमी जन स्वागत अभिनंदन के लिए उमड़ रहे हैं। सच लिख रहा हूं। अभय जी ने कठिन साधना से पद्मश्री अलंकरण अर्जित कर इंदौर को गौरवान्वित किया है। बायपास सर्जरी होने के बावजूद उन्होंने अपने श्रेष्ठ कर्तृत्व से यह जो अलंकरण अर्जित किया है वह अन्य पत्रकारों के लिए वास्तव में प्रेरणास्पद है। इससे अभय जी का व्यक्तित्व और निखर कराया है।
इसी कारण अथवा अभिनंदन करने बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा है। इंदौर ही नहीं बाहर दूर-दूर से उनके प्रेमी जन उनका अभिनंदन करने आ रहे हैं। देर बधाई पत्र हर रोज मिल रहे हैं जगह-जगह स्वागत आयोजन किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सम्मान समारोह आगामी 7 व 8 मार्च 2009 को इंदौर प्रेस क्लब करने वाला है इस अलंकरण से समूचे मीडिया का मान बढ़ा है। इस संदर्भ में एक बात ध्यान रखना चाहिए राष्ट्रीय स्तर के विविध अलंकरण किसी को यूं ही नहीं मिलते। ऐसे अलंकरण से किसी को विभूषित करने के पहले गहरी छानबीन की जाती है। अलंकरण जिसे भी दिया जाता है उसमें मानवीय तत्व (इंसानियत) कितना गहन है। यह सबसे पहले देखा जाता है इसके बाद ही व्यक्तित्व निखरता है।
व्यक्तित्व निखरता है संस्कारों और शुक्र अंखियों से इन सब परिस्थितियों पर अभय जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व उठा रहा है अभी तक। और भी खिलेगा बेशक। जब भी वे किसी से मिलते हैं, उनका मुस्कुराता चेहरा सामने आता है। क्रुद्ध होते तो वे कभी दिखते ही नहीं। गहरे तनाव से भरे मुश्किल मौकों पर भी सदा तनाव मुक्त रहना, यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता है। प्रकृति प्रेम फूलों की सोहबत पुस्तकों से लगाव और उत्कृष्ट लेखन सीधा सरल यह सब अभय जी के व्यक्तित्व की अन्य विशेषताएं हैं। खेलों खिलाड़ियों से उनका अच्छा खासा जुड़ा हो भी रहता है। भव्य अभय खेल प्रसार इसका साक्षी है।
सुसंस्कारों और सुकृत्यो के अलावा, प्रारब्ध और परिश्रम यह दो तत्व भी मनुष्य का व्यक्तित्व गड़ते निखारते हैं। अभय जी जन्म से ही भाग्यशाली रहे हैं देशभक्त स्वाधीनता संग्राम सेनानी पिता और प्रतिष्ठित घर परिवार। भाई जी को आगे बढ़ाने उचा उठाने में उनका बहुत योगदान रहा है।
एक और फैक्टर है जो मनुष्य को उन्नत करता है वह है सुअवसर। अभय जी को अब तक के जीवन में आगे बढ़ाने और ऊपर उठाने में सुअवसर बहुत भागीदार बने। सुअवसरों के मामले में अभय जी को हमेशा ब्रॉडगेज लाइन मिली हमें ऐसे अवसर नहीं मिले। हमें तो मीटर गेज लाइन भी बमुश्किल नसीब हुई।
मैं प्रकृति प्रेम को जीवन में खुशहाली का मंत्र मानता हूं अभय जी को उसमें गहरी रुचि है जिसमें भी नई दुनिया परिसर में अभी जी की पुष्प एवं पादप वाटिका देखी है वह प्रसन्न चित्त होकर ही लौटता है नईदुनिया परिसर में सजाई जाती रही रंग बिरंगी गुलदावदी पुष्प प्रदर्शनी को प्रत्यक्ष देखने वालों की तादाद बहुत बड़ी होती रही है वहां हर फूल और पौधे को अपने स्नेहा भरे स्पर्श से प्यार लुटाता और खुशी बटोर था एक प्रकृति प्रेमी अक्सर मिल जाता है शुभ नाम है उनका अभय छजलानी।
पर्यावरण संरक्षण में अभय जी की भूमिका को देखकर उन्हें वर्ष 1991 में पेरिस में आयोजित पर्यावरण एवं विकास विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सुअवसर मिला था। इससे उनका कद और मान बढ़ा। इंदौर में पर्यावरण संरक्षण, अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सेंटर फॉर एनवायरमेंट प्रोटेक्शन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सीपीआरडी) को इंदौर का सिटीजन मास्टर प्लान तैयार करने के लिए जब उपग्रह के माध्यम से धरातल के चित्रों की जरूरत पेश आए तो सैटेलाइट इमेजरिज प्राप्त करने के लिए अभय जी ने तत्काल ही नईदुनिया जन यही कहती है कि तटस्थ भाव से पत्रकारिता की जाए।