अरविंद तिवारी
यदि किसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भाषण देना हो तो बड़े पशोपेश की स्थिति हो जाती है। इन दिनों सीएम और वीडी की ट्यूनिंग अच्छी है। इधर, वीडी को दिल्ली में सिंधिया के दबदबे का भी अहसास है। ऐसी स्थिति में उन्हें दोनों को साधना पड़ता है। पिछले दिनों शिवपुरी में हुए ऐसे ही एक कार्यक्रम में प्रदेशाध्यक्ष ने दोनों को एक अलग अंदाज में साधा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में या तो सिंधिया राजघराने की सत्ता के दौरान विकास हुआ या फिर अब शिवराजसिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए। दोनों ही खुश हो गए और वीडी भी सेफ जोन में।
टिकट की चाह… और हारी सीटों से जिम्मेदारों का पलायन
पिछले चुनाव में हारी सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है। इसके लिए नेताओं को अलग-अलग सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन नेताओं से ज्यादातर समय अपने प्रभार के क्षेत्रों में ही रहने के लिए कहा गया है और पार्टी के जिम्मेदार लोग रेगुलर फीडबैक भी ले रहे हैं। अब दिक्कत यह है कि ज्यादातर प्रभारी खुद चुनाव लडऩे वालों की दौड़ में शामिल हैं और जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में समय नहीं दे पा रहे हैं। ये लोग खुद को जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह भी कर चुके हैं, ताकि ज्यादा समय जहां से टिकट मांग रहे हैं, वहां दे सकें। ये लोग अभी तक तो इसमें सफल नहीं हुए हैं। देखते हैं आगे क्या होता है।
मंच पर इनकी सक्रियता और उनकी चुप्पी
कृष्णमुरारी मोघे से लेकर हितानंद शर्मा तक के भाजपा के संगठन महामंत्री जिनमें कप्तानसिंह सोलंकी, माखन सिंह, अरविंद मेनन, सुहास भगत भी शामिल हैं, में से शर्मा ही पार्टी या सरकार के आयोजनों में ज्यादातर मौकों पर मंचों पर अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। मंच पर शर्मा की मौजूदगी पार्टी के नेता तो ठीक कार्यकर्ताओं के लिए भी चौंकाने वाली है। कुछ अवसरों को छोड़ दें तो सामान्यत: पार्टी में संघ से भेजे गए प्रचारक मंच से दूर ही रहते हैं। हालांकि खुसर पुसर के बीच पार्टी के दिग्गज भी इस मामले में सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
कमलनाथ का मैनेजमेंट और मैदान में दिग्विजय
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं। दिग्विजय सिंह की सक्रियता मैदान में बढ़ती जा रही है। दिग्विजय के निशाने पर अभी वे सीटें हैं, जहां कांग्रेस के लिए ठीकठाक संभावना है। जाहिर है दिग्विजय की यह सक्रियता कमलनाथ के मैनेजमेंट का ही एक हिस्सा है। कांग्रेस की तैयारियों को देखते हुए तो यही माना जा रहा है कि मैनेजमेंट कमलनाथ का रहेगा और मैदान दिग्विजय संभालेंगे। फर्क बस इतना ही रहता है कि कई बार कवायद के बीच विरोधाभास हो जाता है और इसका फायदा कोई तीसरा उठा लेता है।
बड़ा सवाल,आखिर किसने लिखी थी वह चिट्ठी
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की हाल ही की भोपाल यात्रा के बाद अब वल्लभ भवन के गलियारों में इस बात की गूंज है कि आखिर इकबाल सिंह बेस जैसे सर्वशक्तिमान मुख्य सचिव के खिलाफ दिल्ली तक चिट्ठी किस अफसर ने पहुंचाई थी। चिट्ठी दिल्ली पहुंचने का खुलासा खुद केंद्रीय मंत्री ने भोपाल में एक कार्यक्रम में मंच पर मुख्य सचिव की मौजूदगी में ही किया था। वैसे यह चिट्ठी ना तो पहले मुख्य सचिव का सेवा विस्तार रोक पाई और ना ही अब इसकी संभावना दिख रही है।
क्या राज है चंपू और चिराग के इतना बेखौफ होने का
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद भी आखिर इंदौर के भूमाफिया चंपू अजमेरा और चिराग शाह क्यों बेखौफ है, यह एक यक्ष प्रश्न है। पहले मनीष सिंह जैसे सख्त और अब इलैया राजा जैसे आम लोगों के प्रति संवेदनशील कलेक्टर के होते हुए आखिर इनसे परेशान लोगों को राहत क्यों नहीं मिल पा रही है। इन दोनों भू माफियाओं ने जिस तरह का खेल पिछले दिनों किया है, उससे यह तो साफ हो गया है कि भोपाल में इन्हें कोई ऐसा शुभचिंतक मिल गया है, जो पीडि़त लोगों के बजाय इनके हितों का ज्यादा ध्यान रख रहा है। अब तो यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में जो एसआईटी गठित की गई थी, वह भी अजमेरा और शाह को सेफ जोन में लाने की ही कवायद थी।
चलते-चलते
इंदौर से लेकर भोपाल तक यह चर्चा क्यों चल पड़ी है कि भंवरकुआं, लसुडिय़ा, कनाडिय़ा, विजयनगर, तेजाजीनगर और बाणगंगा के साथ ही शहर के कई पुलिस थानों पर टीआई की पोस्टिंग इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा के बस की बात नहीं है।
पुछल्ला
ग्वालियर चंबल संभाग के दो नजदीकी जिलों में पदस्थ है कलेक्टर दंपत्ति इन दिनों अलग-अलग कारणों से चर्चा में है। वैसे यह दोनों अफसर नेताओं को बहुत पसंद आ रहे हैं। कारण आप ही पता कीजिए।
बात मीडिया की
इंदौर में अपने आगमन के 40 साल पूरे होने पर दैनिक भास्कर अप्रैल महीने में बड़ा आयोजन कर रहा है। इस दौरान अलग-अलग विषयों से जुड़े कई कार्यक्रम होंगे। भास्कर ने ऐसा ही भव्य आयोजन 25 साल पूरे होने के वक्त भी किया था। वरिष्ठ पत्रकार अनिल कर्मा दैनिक प्रजातंत्र को गुडबाय कहकर अब पत्रिका के सांध्य संस्करण न्यूज टुडे के संपादक भूमिका में आ जाएंगे। अभी वहां के वर्किंग सिस्टम को समझ रहे हैं। संपादक रहते हुए न्यूज टुडे को कन्टेंट और डिजाइनिंग के मामले में अलग पहचान देने वाले एक अच्छे टीम लीडर लोकेन्द्र सिंह चौहान अब संभवतः पत्रिका में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे।
सुदीप मिश्रा अब दैनिक प्रजातंत्र में कार्यकारी संपादक की भूमिका आ गए हैं। वे अभी तक यहां प्रथम पृष्ठ को आकार दे रहे थे। दैनिक भास्कर ने अब अपनी संपादकीय टीम के लिए फास्टट्रैक ग्रूमिंग प्रोग्राम शुरू करने का निर्णय लिया है, इसका उद्देश्य व्यवस्थित ग्रूमिंग है। यह प्रोग्राम हिन्दी के साथ ही मराठी और गुजराती संस्करण के संपादकीय साथियों के लिए भी है।