प्रकृति को विनाश की ओर ले जाने का कार्य मनुष्यों ने किया : उत्तम स्वामी जी

mukti_gupta
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uttam swamiji

इंदौर। पेड़, पहाड़, आकाश, जल, अग्नि इन चीजों में किसी प्रकार का प्रदूषण नही है। इन्हें प्रदूषित इंसान ने किया है, प्रकृति को अगर विनाश की और ले जाने का कार्य किया तो वह मनुष्य ने किया। आज यह डेवलपमेंट के नाम पर प्रकृति का विनाश समझ नही आयेगा, यह बात साइंस को यह पता नही है, कि हम प्रकृति को विनाश की और ले जा रहे है, यह बात उत्तम स्वामी जी ने प्रकृति से मित्रता व्याख्यान में कही उन्होंने कहा हमारे पूर्वज आंखो देखनी वाले थे, हम कागज देखने वाले है। इंदौर में पोधे लगाने की जरूरत नही है, हमें पहाड़ों में पौधे लगाना है। 1995 में जिस जंगल में मैने साधना की वहां इतने पेड़ थे कि पहले एक पैड से दूसरे पेड़ पर चले जाते थे, जमीन पर पांव नही पड़ता था, लेकिन वह धीरे धीरे समाप्त हो रहे है। हमारे पूर्वज हमारे लिए जो धरोहर छोड़कर गए है, उसे सहेजना होगा। पश्चिम की संस्कृति को छोड़ हमे भारत की संस्कृति की और लौटना होगा। हर व्यक्ति को एक पौधा रोजाना लगाना होगा।

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वेदों और उपनिषदों में जो कहा गया है, हम उसे भूल गए

कार्यक्रम में विनीत जी नवाथे संघ प्रांत कार्यवाह ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण अगर करना है, तो हमे अपनी जड़ों की और लौटना होगा, वेदों और उपनिषदों में जो कहा गया है, हम उसे भूल गए। हमें वापस इस और लौटना होगा, हम ज्ञान विज्ञान में बहुत आगे थे, औद्योगिक क्रांति में हम अव्वल थे, सारी दुनिया हमारी आर्थिक शक्तियां और नॉलेज की वजह से हमारे सामने घुटने पर थी। जब भारत सब चीजों में अव्वल थे इसके बावजूद प्रकृति को कोई नुकसान नही पहुंचाया। पहले हमने हमेशा विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखा आज का विज्ञान यह संतुलन क्यों नही बिठा पा रहा है, हमारे वेदों में जल, वायु और भूमि की शुद्धता पर ज्ञान आधारित है, आज यह सब इसलिए हो रहा है कि हम अपनी शिक्षा को भूल गए। इसे फिर से अगर बेहतर बनाना है तो छोटे बच्चों को इस बारे में शिक्षा देने के मकसद से शिक्षकों और माता पिता को जागरूक करें तो हम इन्हें भारतीय दर्शन से अवगत करवा पाएंगे।

सेल्फी के चक्कर में पौधों को नर्सरी से लाकर खत्म मत कीजिए, उनकी देखभाल कीजिए

इसी के साथ सागर चौकसे पर्यावरण विभाग सरक्षण गतिविधि संयोजक ने कहा कि कार्यक्रम में आए सभी प्रकृति प्रेमी को साधुवाद करता हूं, देश में एक व्यक्ति पर 428 पेड़ होने चाहिए, जबकि 25 पेड़ है। जो पेड़ हम लगाते है वह तीस साल में बड़ा होता है, जबकि जिस पेड़ को काटते है वह तीस साल का होता है, में कई जगह जाता हूं तो लोग कहते है हम हर साल पौधे लगाते है, और जब फील्ड पर जाकर देखा तो 10 से 20 पौधे थे। सेल्फी के चक्कर में हम नर्सरी के पौधो को फील्ड पर लाकर लगाते है और सेल्फी के बाद उसे भूल जाते है, यह करना बंद करे, या उन पेड़ का देखभाल करें।

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सब मिलकर काम करे तो शायद हम एक स्वस्थ समाज की कल्पना कर सकेंगे

चोइतराम स्कूल के प्रिंसिपल उत्तम कुमार झा ने कहा कि पेड़ो की डेवलपमेंट और विकास के नाम पर कटाई हो रही है, हम पर्यावरण का विनाश ना करे, लोगो के बीच में इसको लेकर जागरूकता लाना है, सब मिलके अगर काम करे तो शायद स्वस्थ देश की कल्पना हम कर सकते है, सबका छोटा सा प्रयास होना चाहिए, ज्यादातर लोग समझते है कि क्या हमारे एक पौधा लगाने से क्या देश हरा हो जायेगा तो अगर आंकड़े की बात करे तो रोजाना 135 करोड़ पेड़ एक पौधा एक व्यक्ति के लगाने से होगा, जिससे हम हमारी आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर इन्वायरमेंट देकर जा सकेंगे । प्रकृति से मित्रता व्याख्यान गुजराती इनोवेटिव कॉलेज में पर्यावरण विभाग द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आभार स्वाति चौहान ने प्रकट किया