दुनियाभर में 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर बेहद खास और शुभ संयोग भी बन रहा है। ऐसे में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति तो होगी साथ ही भगवान शिव की असीम कृपा भी प्राप्त होगी।
इस दिन भक्तगण भगवान शंकर का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करने के साथ साथ धूतरा, बेलपत्र (Belpatra) समेत कई चीजें समर्पित करते हैं, लेकिन इन सभी चीजों में बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत ही प्रिय है। इसे बिल्वपत्र भी कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते वक्त कुछ नियमों का ध्यान रखा जाए, तो वह शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं। चलिए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को किस तरह चढ़ाया जाएं बेलपत्र।
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कितने बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ
यदि आप महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ा रहे हैं, तो 3 या फिर 5 पत्ते चढ़ाना अति शुभ होगा। यदि आप चाहे तो 11 पत्ते या फिर इससे भी अधिक बिल्व पत्र चढ़ा सकते हैं।
कैसे चढ़ाएं बेलपत्र
भगवान शंकर को बेलपत्र चढ़ाने का एक सही नियम ये है। इसके लिए बेलपत्र को स्वच्छ जल से धोकर साफ़ कर लें। इसके बाद यदि आप चाहे, तो केसर या चंदन का प्रयोग करके बिल्वपत्रों पर ‘ऊँ’ भी लिख सकते हैं। इसके बाद शिवलिंग पर अर्पित करते समय चिकनी वाली साइड को शिवलिंग पर चढ़ाएं। उभरा हुआ भाग ऊपर की ओर होना चाहिए।
Belpatra नहीं है, तो करें ये काम
यदि किसी कारणवश आपको बेलपत्र नहीं मिल पा रहे हैं, तो शिवलिंग में चढ़े हुए बेलपत्र को लेकर स्वच्छ पानी या गंगाजल से धो लें और फिर शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने भी सारे शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
ऐसा हो बेलपत्र
आपको बता दें कि बेलपत्र अलग टाइप की होती है, जिसमें एक में ही तीन पत्तियां होती है। इसलिए बेलपत्र अर्पित करते वक्त इस बात का ख्याल अवश्य रखें कि तीन पत्ते वाली ही बेलपत्र चढ़ाएं। क्योंकि इन्हें भगवान शिव के तीन नेत्र के रूप में माना जाता है.
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