कुश्ती में ही इंडिया को अब तक सबसे ज्यादा पदक मिले हैं, इसका कारण भी यही था कि इसमें किसानों के लड़के खेलते हैं, जहां उन्हें पर्याप्त सम्मान गांव में मिलता है। हरियाणा में अच्छे पहलवानों को हर गांव गांव में जाना जाता है…. वहां पर पहलवानों के सम्मान के लिए दी गई राशि को धार्मिक कार्यों से बड़ा महत्व दिया जाता है, जैसे बाकी इंडिया में गौशाला के लिए दान करते हैं उसी प्रकार हरियाणा के लोग पहलवानों के लिए सम्मान राशि एकत्रित करते हैं।
महाराष्ट्र में भी पहलवान को बहुत बड़ी इज्जत दी जाती है वहां महाराष्ट्र केसरी का मतलब होता है किसी सांसद के बराबर महत्व रखना….. पंजाब में पहलवान जस्सा पट्टी को इतना सम्मान दिया जाता है, कि उसे कॉमेंटेटर तक ” जी ” लगाकर जशाजी कह कर ही कॉमेंट्री करते हैं, जो पंजाब के किसी भी मुख्यमंत्री से कम अहमियत नहीं रखता।
राजस्थान के डांग क्षेत्र में करौली के आसपास के मेलों में पहाड़ियों की तलहटी में होने वाले दंगलों में पूरा पहाड़ पहलवानों की कुश्ती देखने के लिए जनता से भर जाता है , तथा यह सब भी उस दौर में हो रहा है जब सरकारी और कॉर्पोरेट के मीडिया इन दंगलों को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं देते और दो लाइन तक व दो शब्द अपनी मीडिया के माध्यम से नहीं चलाते।
कुश्ती इंडिया का एकमात्र ऐसा खेल है जिसमें हाल के 15-20 वर्षों में हर विश्व स्तरीय इवेंट जिसमें कोई ना कोई पदक मिल जाते हैं तथा बहुत अधिक संख्या में मिलने वाले पदकों में भी लगभग पदक इसी खेल के होते हैं । और यह सब संभव होता है इंडिया के किसान कामगार कबिलाइयों की सामाजिक व्यवस्था के कारण… जिसमें मेहनत को महत्व दिया जाता है …मेहनत को सम्मान दिया जाता है।
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पहलवान और खिलाड़ियों को समाज में इज्जत दी जाती है, अब जाकर पहलवान खड़े होते हैं, सरकारी सहायता के बल पर पहलवान खड़े नहीं हो सकते। और यदि पहलवानों , खिलाड़ियों के सम्मान को इस प्रकार ठेस पहुंचाई जाएगी, … खेल संगठनों में राजनीतिक जोड़-तोड़ करके अपराधिक छवि वाले लोग घुस जाएंगे , निश्चित तौर पर जो कुश्ती में पदकों की शुरुआत की गई है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बिल्कुल रूप से धूमिल कर दी जाएगी…. ओलंपिक वगैरह में एक-एक पदक के लिए देश तरस जाएगा.!!
सरकार तुरंत WFI इंडिया कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह को तुरंत निलंबित करके इसके खिलाफ आपराधिक कृत्यों का मुकदमा दर्ज करवाएं और किसी निष्पक्ष न्यायिक आयोग के समक्ष इस पूरे प्रकरण की जांच करवाई जाए अन्यथा यह माना जाएगा कि सरकार और अपराधियों का गठजोड़ पूरी तरह हो चुका है तथा यह सिस्टम देश के खेलों को को गर्त की ओर ले जाएगा… इंडिया पहले से ही विश्व के अन्य देशों के मुकाबले गर्त में है
तथा सोशल मीडिया के जागरूक साथी भी इस मुहिम को परवान चढ़ाऐ, इसे हल्के में नहीं लेवे… कॉपी पेस्ट या जिस भी माध्यम से दबाव बनाया जा सके सभी सोशल मीडिया के मार्फत अपना पूर्ण सहयोग दें और दिल्ली में रहने वाले साथी इन खिलाड़ियों के धरने में नियमित तौर पर सम्मिलित हो तथा राजनीतिक और अपराधियों के गठजोड़ पर हमला करें ताकि इस पवित्र खेल में गंदगी को समाप्त किया जा सके।
यदि सरकार के कारिंदे इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं तो सोशल मीडिया के माध्यम से अवगत कराया जाएगा की भिक्षा से पने वाले लोग मेहनत के महत्व को नहीं समझ सकते हैं और उन लोगों को भी जलील करने के साथ-साथ उनकी सामाजिकता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े किए जाएंगे । महिला खिलाड़ियों के आंसूओं को यदि यह पॉलीटिशियन नहीं पहचान सकते तो समझो इनकी सामाजिकता में कहीं ना कहीं कमी है और जिन लोगों को देश के महत्वपूर्ण पद मिले हैं वह आम जनता की वनस्पति नहीं बल्कि कॉरपोरेट की बनिस्बत ही मिले हैं जहां राजनीति अपराधियों के सरंक्षण में चल रही है।
Source : PR