उत्तर प्रदेश में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके संसदीय क्षेत्र मैनपुरी में उपचनाव होने जा रहा है। इस उपचुनाव में भाजपा तथा सपा दोनों ही पार्टियां चुनावी मैदान में एक दूसरे को कांटे की टक्कर दे रही है। प्रदेश ही नहीं देश की राजनीती के मानचित्र पर मैनपुरी एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
हालाँकि मैनपुरी को समाजवादी पार्टी का गढ़ मन जाता है।
लेकिन मुलायम सिंह के निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी अपनी एड़ी चोटी का जोड़ लगा रही है। एक तरफ जहाँ सपा मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घर घर जाकर लोगों से वोट मांगे तो वहीँ दूसरी ओर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दो दो जनसभाओं को सम्बोधित करने पहुंचे। दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने दो-दो दिन यहीं पर अपना डेरा डाले रखा साथ ही कई-कई जनसभाएं की।
1996 में पहली बार सांसद बने थे मुलायम
आपको बता दें राजनीति में जब मुलायम सिंह यादव आये उसके बाद जब वर्ष 1996 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़े और सांसद बने तो फिर सपा ने ऐसा वर्चस्व बनाया कि उसके बाद चुनाव में कोई अन्य पार्टी जीत ही नहीं पायी। जब भी चुनाव हुआ मुलायम सिंह यादव की चंद जनसभाएं और परिवार के अन्य सदस्यों की दो-चार बार आमद ही जीत सुनिश्चित कर देती थी। लेकिन इस बार भाजपा की जनसभाओं में होने वाली भीड़ को देखकर सपा नेता व कार्यकर्ता चिंतित आ रहे है।
इस बार समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारा गया है। जिसके बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पूरे चुनाव की कमान खुद संभाल ली। और चाचा शिवपाल के साथ घर – घर जाकर जनता से अपील कर रहे है कि सपा को वोट देकर मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दें।
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वहीं जनता में भी इस बार बदलाव की चर्चा हो रही है। क्योंकि भाजपा ने पहली बार मैनपुरी चुनाव इतिहास में इतना जबरदस्त चुनाव प्रचार किया है। जिसके बाद दोनों पार्टियों में जबरदस्त मुकाबला देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देगी या फिर इतिहास को बदल देगी।