साहित्य समागम समापन सत्र में बोलते हुए केंद्रीय हिंदी सचिवालय के सहायक निदेशक तथा तथा प्रसिद्ध लेखक डॉक्टर दीपक पांडे(Dr. Deepak Pandey) ने कहा कि लेखन को दो धाराओं में नहीं बांटना चाहिए हमें यह भी देखना होगा कि आज का साहित्य कितना प्रासंगिक और उपयोगी है। महिला लेखन के बारे में उन्होंने कहा कि साहित्य की समृद्ध परंपरा में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है और आज के समय में हम महिला लेखन को अनदेखा नहीं कर सकते।
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हालांकि स्त्री लेखन की धारणा पश्चिम से आई है ऐसा कहा जाता है लेकिन ऐसा वास्तव में है नहीं उन्होंने कहा कि स्त्री लेखन के अनेक रूप हैं जरूरी नहीं कि स्त्रियां ही स्त्री के लिए लेखन करें पुरुष लेखकों ने भी स्त्रियों के बारे में बहुत अच्छा लिखा है। डॉक्टर पांडेय ने कहा कि स्त्री लेखन का इतिहास बहुत पुराना है उषा प्रियंवदा से लेकर कृष्णा सोबती सहित अनेक लेखिकाओं ने साहित्य को समृद्ध किया है।