प्रसिद्ध साहित्यकार सुभद्रा कुमारी चौहान की स्मृति में इंदौर में आयोजित अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम में आज सुबह के सत्र में श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि हमें बचपन से लिखना और कम बात करना सिखाया जाता है यही वजह है कि लिखा हुआ बहुत महत्वपूर्ण रहता है ।
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उन्होंने कहा कि गांव में 15 वर्ष की उम्र तक उन्होंने कई पुस्तकों का अध्ययन किया पुस्तक के रूप में लेखन हमेशा अस्तित्व में रहता है उन्होंने कहा कि सामाजिक परिस्थितियां बदलती रहती है लेखक को इनके बीच ही काम करना पड़ता है उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति में उन्होंने कार्य किया है जिसका लक्ष्य था महिलाओं की शारीरिक शक्ति के साथ मानसिक विकास भी करना ।
उन्होंने कहा कि जब मन में संवेदनाएं होती है तभी विचार आता है कि हमें समाज के लिए कुछ करना चाहिए, कुछ लिखना चाहिए ।श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि इतिहास का अध्ययन भी बेहद आवश्यक है स्त्री में 7 गुणों का होना आवश्यक है ।