नए साल की शुरुआत से पहले जिनपिंग ने दिखाए तेवर, बोले ‘ताइवान को चीन के साथ जोड़ने से कोई नहीं रोक सकता’

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By Abhishek SinghPublished On: December 31, 2024

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को कहा कि ताइवान का चीन के साथ एकीकरण अब कोई भी नहीं रोक सकता। यह बयान उन्होंने नववर्ष 2025 की पूर्व संध्या पर दिया। यह टिप्पणी उस समय आई है जब चीन को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद में वापसी को लेकर बीजिंग की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। ट्रंप ने इस साल अपने दूसरे कार्यकाल में चीनी उत्पादों पर दंडात्मक शुल्क लगाने की धमकी दी है।

जिनपिंग ने अपने संदेश में कहा, “हम चीनी लोग ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर एक ही परिवार के सदस्य हैं और कोई भी हमारे रिश्तों को कभी तोड़ नहीं सकता।” यह संदेश चीन के सरकारी प्रसारक द्वारा प्रसारित किया गया। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और एक चीन नीति को दृढ़ता से लागू करता है। जिनपिंग के शासन में ताइवान को चीन में समाहित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

चीन वैश्विक सुधारों और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध

बीजिंग की विदेश नीति पर बात करते हुए जिनपिंग ने कहा कि चीन वैश्विक शासन में सुधार लाने और विश्व शांति तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि बदलते और अशांत समय में चीन एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में वैश्विक सुधारों को बढ़ावा दे रहा है और वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच सहयोग तथा एकता को सशक्त बना रहा है।

शी जिनपिंग ने अपने नए साल के संदेश में चीन की आर्थिक स्थिति पर भी चर्चा की। कोविड-19 के प्रभाव से चीन की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ी, जिसके परिणामस्वरूप रियल एस्टेट क्षेत्र में गिरावट और रोजगार की समस्याएं उत्पन्न हुईं। हालांकि, जिनपिंग ने यह भी कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था अब पुनः उबर रही है और 2024 तक चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 130 ट्रिलियन युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि चीन के कृषि उत्पादन में 700 मिलियन टन से अधिक अनाज की पैदावार हुई है।

इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में नई ऊंचाइयां हासिल की

उन्होंने कहा कि चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे नए उत्पादों के उत्पादन में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। 2024 में चीन ने पहली बार 10 मिलियन से अधिक नई ऊर्जा वाहनों का उत्पादन किया। हालांकि, चीन को अपने ई-वाहनों के निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इन वाहनों पर भारी शुल्क लगा दिए हैं।