नई दिल्ली : यूपी की राजनीति में हलचल मचाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य लगभग तीस वर्षौं से राजनीति के क्षेत्र में है।कुशीनगर के पडरौना से विधायक मौर्य ने बीते दिन भाजपा से इस्तीफा दे दिया है लेकिन इस इस्तीफे के पीछे जो भी कारण सामने आ रहे है उससे भाजपा की राजनीति में उछाल तो आया ही है वहीं राजनीतिक हलकों में यह भी खबर सामने आ रही है कि आगामी चुनाव में मौर्य का भाजपा से जाना कहीं न किसी न किसी रूप से असर भी करेगा।
मौर्य बता चुके हैं कि 2 जनवरी 1996 को वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे। वह पडरौना से तीन और रायबरेली की डलमऊ सीट से दो बार विधायक रहे हैं। एक बार वह एमएलसी भी रहे हैं। 2017 के यूपी चुनाव से पहले वह मायावती पर टिकट बेचने और धन की राजनीति करने जैसे गंभीर आरोप लगाकर बीजेपी में शामिल हुए थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य मौर्य जाति से आते हैं। यूपी में ओबीसी वोटर्स में यह जाति काफी अहम स्थान रखती है। एक अनुमान के मुताबिक यूपी में इस जाति के करीब 6 फीसदी वोट हैं । मौर्य का प्रभाव कुशीनगर के अलावा रायबरेली, शाहजहांपुर और बदायूं तक माना जाता है। स्वामी प्रसाद मौर्य मौर्य जाति से आते हैं।
यूपी में ओबीसी वोटर्स में यह जाति काफी अहम स्थान रखती है। एक अनुमान के मुताबिक यूपी में इस जाति के करीब 6 फीसदी वोट हैं । मौर्य का प्रभाव कुशीनगर के अलावा रायबरेली, शाहजहांपुर और बदायूं तक माना जाता है। मौर्य का जन्म दो जनवरी 1954 को प्रतापगढ़ जिले के चकवड़ गांव कुंडा हुआ था लेकिन अपनी सियासी कर्मभूमि के लिए रायबरेली के ऊंचाहार को चुना। खास बात ये है कि उनका बीजेपी से सिर्फ 5 साल में ही मोहभंग हो गया ।