रुद्रावतार बजरंग की प्रत्येक लीलाएं दिव्यता से भरी हैं। रामायण (Ramayana) के महत्वपूर्ण पात्र रामभक्त बजरंग अपने शैशव काल से ही अपने रुद्रवतारी होने का संकेत देते रहे हैं। इसी प्रकार शिशु अवस्था में एकबार माता अंजनि के पुत्र के द्वारा भूख लगने पर सूर्य देवता को लाल फल समझ कर निगल लिया गया था। पवन अर्थात वायुदेव के मानस पुत्र किसी भी असम्भव कार्य को करने के लिए सक्षम हैं। बजरंगी के द्वारा सूर्य को निगल लेने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया और पृथ्वी पर जनजीवन की संभावनाएं डगमगाने लगी।
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राहु को समझा काला फल, ऐरावत हाथी को सफेद
सूर्य को लाल फल समझ कर निगलने वाले बजरंगी ने उसके बाद अपनी दृष्टि राहु पर डाली तो उन्हें राहु किसी काले फल के समान प्रतीत हुआ। बालक बजरंग राहु के पीछे दौड़े तो उन्हें बचाने के लिए देवराज इंद्र पधारे। देवराज इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को बालक बजरंग के द्वारा सफेद हाथी समझ लिया गया। इसी दौरान देवराज इंद्र ने अपने वज्र से बालक बजरंगी पर प्रहार कर दिया।
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हनु अर्थात ठोड़ी पर चोट लगने से नाम पढ़ा हनुमान
देवराज इंद्र के द्वारा प्रहार किए गए वज्र से बालक बजरंगी की ठोड़ी अर्थात हनु पर चोट लगी, जिससे उनका नाम हनुमान पड़ा । बालक बजरंगी के रुद्रवतारी होने का आभास होने पर देवराज इंद्र को पश्चाताप होता है और वे उन्हें वज्रांग होने का आशीर्वाद देते है।