दिवाली से ठीक पहले मध्यप्रदेश का मौसम तेजी से करवट ले रहा है। अक्टूबर के मध्य तक जहां दोपहर में धूप की तपिश महसूस की जा रही थी, वहीं अब सुबह और रात के समय हल्की ठंड ने दस्तक दे दी है। मौसम में दिन और रात का यह विरोधाभास लोगों को सर्दी की आहट का अहसास कराने लगा है। प्रदेश के कई इलाकों में बादल छाए हुए हैं और बीच-बीच में हल्की फुहारें भी पड़ रही हैं। शनिवार को राजधानी भोपाल में दिनभर बादल छाए रहे, जिससे अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वहीं इंदौर और खंडवा में झमाझम बारिश हुई, जबकि उज्जैन, होशंगाबाद, और हरदा जैसे शहरों में मौसम सुहावना बना रहा।
20 अक्टूबर से बारिश का नया दौर, कई जिलों में होगी बूंदाबांदी
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, 20 अक्टूबर से प्रदेश के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में हल्की बारिश का सिलसिला शुरू हो सकता है। यह दौर 22 अक्टूबर तक जारी रहेगा। मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा का कहना है कि बैतूल, नर्मदापुरम, खंडवा, हरदा, बुरहानपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और अनूपपुर में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश की संभावना है। इस दौरान कुछ जगहों पर हल्की आंधी और बिजली चमकने की घटनाएं भी हो सकती हैं। 21 अक्टूबर से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में एक नया पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) सक्रिय होने जा रहा है। इसके प्रभाव से मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में नमी बढ़ेगी और बादल छाए रहेंगे। इससे तापमान में मामूली गिरावट आने की भी संभावना है।
रातें हुईं गर्म, दिन में हल्की गर्मी बरकरार
पिछले कुछ दिनों में हवा की दिशा बदलने से रात के तापमान में हल्का इजाफा दर्ज किया गया है। अधिकांश शहरों में न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। भोपाल में रात का पारा 21.6 डिग्री, इंदौर में 22 डिग्री, जबकि जबलपुर में 20.5 डिग्री तक पहुंच गया है। दूसरी ओर, रीवा में रातें अभी भी ठंडी हैं, जहां न्यूनतम तापमान करीब 15 डिग्री तक दर्ज किया गया है। दिन के तापमान में भी हल्की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और खजुराहो में अधिकतम तापमान 33 से 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल दिन में हल्की गर्मी और रात में ठंडक का मिला-जुला असर बना रहेगा, लेकिन दिवाली के बाद धीरे-धीरे तापमान गिरना शुरू हो जाएगा।
नवंबर से बढ़ेगी ठंड, फरवरी तक रहेगा असर
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह से प्रदेश में सर्दी तेज़ी से बढ़ने लगेगी। दिसंबर और जनवरी के महीनों में ठंड अपने चरम पर रहेगी। इस बार सर्दी का असर फरवरी तक महसूस किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है कि इस साल ला-नीना (La-Nina) जैसी जलवायु स्थिति बनने की संभावना है, जिससे मौसम सामान्य से अधिक ठंडा और नमी वाला रह सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 2010 के बाद यह सबसे कड़ी सर्दी हो सकती है। ठंडी हवाएं उत्तर भारत से होकर मध्यप्रदेश में प्रवेश करेंगी, जिससे सुबह और शाम के समय पारा तेजी से नीचे जा सकता है। ठंड के साथ-साथ कोहरे का असर भी बढ़ेगा, खासकर नर्मदापुरम, सागर, और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों में।
मानसून ने कहा अलविदा, पर बारिश अब भी जारी
आधिकारिक तौर पर 13 अक्टूबर को प्रदेश से मानसून की विदाई हो चुकी है। इस बार मानसून 3 महीने और 28 दिन तक सक्रिय रहा। हालांकि, इसके जाने के बाद भी रुक-रुक कर बारिश का सिलसिला जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार, बादल छाने और बूंदाबांदी का यह दौर पोस्ट-मानसून सीजन का हिस्सा है। इस बार मानसून ने प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किया है। 52 में से 30 जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पर्याप्त बारिश के कारण नदियों और तालाबों का जलस्तर बढ़ा है। इससे न केवल पेयजल की समस्या कम होगी, बल्कि रबी फसलों की सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध रहेगा।
गुना में सबसे ज्यादा, शाजापुर में सबसे कम बारिश
इस साल बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो गुना जिला सबसे आगे रहा, जहां कुल 65.7 इंच वर्षा दर्ज की गई। इसके विपरीत शाजापुर जिले में सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) बारिश हुई। वहीं उज्जैन, सीहोर और बैतूल में भी औसत से थोड़ी कम बारिश दर्ज की गई, लेकिन ये जिले सामान्य श्रेणी में रहे। अच्छी बारिश के कारण प्रदेश में भू-जल स्तर (Groundwater Level) में सुधार की उम्मीद है। कई जिलों में बांधों और जलाशयों में पानी की स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। मौसम विभाग का कहना है कि इस वर्ष का मानसून कृषि और जल प्रबंधन दोनों दृष्टि से प्रदेश के लिए लाभकारी रहा है।