इंदौर के 28 तालाबों पर मंडरा रहा संकट, पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहा शहर

Abhishek Singh
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इंदौर, जो कभी बाग-बगिचों और तालाबों का शहर था, आज भीषण गर्मी और सूखे से जूझ रहा है। भूमिगत जल स्तर लगातार गिर रहा है, और कई रिपोर्ट्स में इंदौर के पानी संकट पर गंभीर चिंता जताई जा चुकी है। इसके बावजूद, शहर प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही स्थिति रही, तो वह समय दूर नहीं जब इंदौर पानी की एक बूंद के लिए तरस जाएगा। नर्मदा नदी पर निर्भर इंदौर के जल आपूर्ति को बचाने के लिए स्थानीय जल स्रोतों की सुरक्षा करना जरूरी है, वरना नर्मदा भी इस संकट का समाधान नहीं कर पाएगी।

तालाबों का संकट, कुछ हुए गायब तो कुछ रिकॉर्ड में भी दर्ज नहीं

संस्था निसर्ग मैत्री की मेघा बर्वे ने बताया कि इंदौर में कई छोटे और बड़े तालाब थे, जो विभिन्न कारणों से अब गायब हो चुके हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन तालाबों का कोई रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं है। हमने तीन से चार साल तक इंदौर के तालाबों की पहचान की, और इस दौरान हमें करीब 33 तालाब और सात जलाशय मिले। नगर निगम और प्रशासन के साथ मिलकर काम करते हुए हमने उन्हें ये सारी जानकारी दी। फिलहाल निगम की टीमें तालाबों के सीमांकन का काम कर रही हैं।

तालाबों के अस्तित्व को खतरा, अतिक्रमण की बढ़ती समस्या

  1. श्रीराम – 1.133 और 5.990 हेक्टेयर, आंशिक अतिक्रमण
  2. फूल कराडिया – 323.812 एकड़, अतिक्रमण
  3. सिरपुर – 95.9974 हेक्टेयर, ग्वाला कॉलोनी और प्रजापत नगर में कच्चे व पक्के मकान
  4. खजराना – 3.137 हेक्टेयर, पूर्वी भाग में अतिक्रमण
  5. बिलावली – 102.741 हेक्टेयर, दक्षिण में जीतनगर
  6. लसूड़िया मोरी – 4.478 हेक्टेयर, तालाब की भूमि पर शेड, भवन, स्कूल, सामुदायिक भवन
  7. बड़ा बिलावली – 217.885 हेक्टेयर, झुग्गी बस्ती
  8. कनाडिया – 11.408 हेक्टेयर, अतिक्रमण
  9. गुरदाखेड़ी – 145.418 एकड़, अतिक्रमण
  10. भौरासला – 2.962 हेक्टेयर, अतिक्रमण नहीं
  11. लिंबोदी – 13.370 हेक्टेयर, अतिक्रमण
  12. तलावली चांदा – 13.688 हेक्टेयर, तालाब की जमीन पर मंदिर, टीनशेड, भेरूबाबा का चबूतरा, पट्टे के मकान
  13. पीपल्याहाना – 3.674 हेक्टेयर, अतिक्रमण
  14. रोजड़ी – 11.468 एकड़, अतिक्रमण
  15. टिगरिया बादशाह – 20.032 हेक्टेयर, 15 मकानों का अतिक्रमण
  16. यशवंत सागर – 524 मीटर आरएल, अतिक्रमण
  17. उषापुरा – 789.631 एकड़, अतिक्रमण
  18. सिकंदरी – 124.46 एकड़, अतिक्रमण
  19. अंबाखेड़ी – 315.451 एकड़, अतिक्रमण
  20. गुलावट – 257.259 एकड़, अतिक्रमण
  21. लोंडिया, मुहम्मदपुर – 20.023 एकड़, अतिक्रमण
  22. सिंगावदा – 124.197 एकड़, अतिक्रमण
  23. बोरसी – 51.713 एकड़, अतिक्रमण
  24. बड़ी कलमेर – 196.991 एकड़, अतिक्रमण
  25. हिंगोनिया जागीर – 11.784 एकड़, अतिक्रमण
  26. माली बड़ोदिया – 18.006 एकड़, अतिक्रमण
  27. हातोद – 76.912 एकड़, अतिक्रमण
  28. खजुरिया – 667.745 एकड़, अतिक्रमण

सीमांकन की अनदेखी बनी कब्जे की वजह

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इंदौर में तालाबों पर बढ़ते अतिक्रमण की मूल वजह यह है कि अब तक अधिकांश तालाबों का सीमांकन ही नहीं किया गया है। जब तक यह स्पष्ट नहीं होगा कि किसी तालाब की कुल भूमि कितनी है और उसमें से किस हिस्से को संरक्षित रखा जाना है, तब तक कब्जों पर रोक लगाना मुश्किल रहेगा। हालांकि कुछ सामाजिक संगठनों की पहल पर कुछ तालाबों की सीमाएं तय की गई हैं, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में जलस्रोत बिना सीमांकन के ही हैं।

जल संकट की ओर बढ़ता इंदौर, विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में जताई चिंता

पर्यावरण विशेषज्ञ सुधीन्द्र मोहन शर्मा, किशोर पंवार, ओपी जोशी और भोलेश्वर दुबे द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे शहर की संस्था सेवा सुरभि ने ‘हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण’ शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक में स्थान दिया है। इस रिपोर्ट में उल्लेख है कि शहरी सीमा के भीतर कुल 28 छोटे-बड़े तालाब मौजूद हैं, जिनका संरक्षण एक महत्वपूर्ण चुनौती है। यदि इन्हें सुरक्षित रखा गया तो न केवल प्राकृतिक धरोहर को बचाया जा सकेगा, बल्कि जल संरक्षण में भी उल्लेखनीय योगदान मिलेगा।