विजय अड़ीचवाल
आज गुरुवार, मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी तिथि है।
आज स्वाति नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज प्रदोष व्रत है।
-यदा-कदा हवन, यज्ञ करने के लिए अग्निवास देखना जरूरी है।
-नित्य हवन, यज्ञ करने वालों पर उक्त नियम लागू नहीं है।
-किसी तिथि, पर्व या व्रत उद्यापन के समय किए जाने वाले हवन के लिए अग्निवास नहीं देखा जाता है।
-माता, पिता की मृत्यु के पश्चात एक वर्ष तक घर में विवाह आदि कोई भी माङ्गलिक कार्य नहीं करना चाहिए।
-योगायोग से विवाह निश्चित होने पर मासिक श्राद्ध कर एक वर्ष के अन्दर विवाह सम्पन्न किया जा सकता है।
-मूर्ति खण्डित होने पर स्वर्ण धातु की प्रतिमा का पूजन कर दान करने के बाद ही पुनः दूसरी मूर्ति की प्रतिष्ठा कराना चाहिए।
-50 वर्ष की आयु के पश्चात प्रत्येक 5 वर्ष के उपरान्त जन्म तिथि (अंग्रेजी तारीख नहीं) के दिन वयोऽवस्था शान्ति अवश्य कराना चाहिए।
-परन्तु जन्म तिथि के दिन पञ्चाङ्ग शुद्धि तथा अग्निवास देखकर कराना चाहिए।
-वयोऽवस्था शान्ति कराने से समस्त बाधाएं, अरिष्ट योग का निवारण होता है।
-हम जन्मतिथि की उपेक्षा कर अंग्रेजी तारीख पर सिल्वर, गोल्डन, हीरक, डायमण्ड, जुबली आदि मनाते हैं। उस समय सिर्फ पार्टी देते हैं। इससे अरिष्ट निवारण नहीं होता है।