भोपाल में 14 जुलाई को यानि कल, टैक्सी और ऑटो सेवाएं पूरी तरह बंद रहेंगी। टैक्सी यूनियन कल्याण समिति के आह्वान पर सैकड़ों टैक्सी और ऑटो चालक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक डॉ. अंबेडकर जयंती पार्क में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
प्रदर्शन के दौरान शहर की सभी टैक्सी सेवाएं पूरी तरह ठप रहेंगी। यूनियन का कहना है कि ओला, उबर और रैपिडो जैसी निजी सेवा कंपनियों से जुड़े 2,500 से अधिक टैक्सी चालक और 2,000 से अधिक ऑटो चालक इस विरोध में भाग लेंगे।

यात्री रहेंगे परेशान
इस आंदोलन का व्यापक असर भोपाल रेलवे स्टेशन, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, संत हिरदाराम नगर स्टेशन, हबीबगंज क्षेत्र, बस स्टैंड और राजा भोज एयरपोर्ट सहित शहर के प्रमुख परिवहन केंद्रों पर देखने को मिलेगा। टैक्सी और ऑटो सेवाओं पर निर्भर हजारों यात्रियों को आवागमन में गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
शोषण के खिलाफ संगठित हुए टैक्सी चालक
यूनियन के राष्ट्रीय सचिव नफीसउद्दीन ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन राजधानी सहित पूरे प्रदेश में टैक्सी चालकों के साथ हो रही उपेक्षा और शोषण के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन पूर्णतः शांतिपूर्ण रहेगा और इसके लिए पुलिस प्रशासन से विधिवत अनुमति प्राप्त कर ली गई है।
टैक्सी यूनियन की मांगें
- एयरपोर्ट व प्रमुख सार्वजनिक पिकअप प्वाइंट्स पर पर्याप्त और सुव्यवस्थित पार्किंग सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं- राजा भोज एयरपोर्ट पर ओला-उबर जैसे एग्रीगेटर वाहनों को पार्किंग की अनुमति दी गई है, जबकि पारंपरिक टैक्सी चालकों के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। यूनियन का कहना है कि जब वाहन टैक्सी कोटे में पंजीकृत होते हैं, तो उन्हें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थलों पर भी समुचित पार्किंग सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
- निजी टैक्सी कंपनियों पर सरकारी दरें लागू हों- यूनियन ने मांग की है कि ओला-उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों पर भी वही कलेक्टर दरें लागू की जाएं, जो पारंपरिक टैक्सी चालकों पर प्रभावी हैं। वर्तमान में ये कंपनियां आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते मनमाने किराये तय करती हैं, जिससे चालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
- रेलवे स्टेशनों पर हो रही अवैध वसूली को तुरंत रोका जाए- भोपाल, रानी कमलापति और संत हिरदाराम नगर जैसे रेलवे स्टेशनों पर टैक्सी चालकों से प्रति फेरे 10 रुपये जबरन वसूले जा रहे हैं, जबकि निजी वाहनों को 15 मिनट तक निःशुल्क पार्किंग की सुविधा दी जा रही है। यह वसूली न तो किसी अधिकृत नियम के तहत की जा रही है और न ही इसकी कोई रसीद प्रदान की जाती है। प्रतिदिन इन स्टेशनों पर लगभग 2,000 टैक्सियां पहुंचती हैं, जिससे रोज़ाना करीब 20,000 रुपये की अवैध वसूली हो रही है। इस अनियमितता का सीधा प्रभाव टैक्सी चालकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है।
- पैनिक बटन के नाम पर अवैध वसूली बंद की जाए- टैक्सी वाहनों में लगाए जाने वाले पैनिक बटन की बाजार कीमत लगभग 4,000 रुपये है, लेकिन इसके लिए चालक वर्ग से 13,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। साथ ही, अधिकांश मामलों में ये पैनिक बटन ठीक से कार्य नहीं कर रहे हैं, जिससे उनकी उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं।
- अवैध रूप से संचालित प्राइवेट टैक्सी और दोपहिया टैक्सी सेवाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए- ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियां ऐसे निजी वाहनों का उपयोग टैक्सी सेवा के रूप में कर रही हैं, जिनके पास न तो फिटनेस सर्टिफिकेट है, न ही कमर्शियल परमिट और बीमा। दूसरी ओर, पारंपरिक टैक्सी चालकों को हर वर्ष फिटनेस, परमिट और कमर्शियल बीमा जैसी अनिवार्य प्रक्रियाओं के लिए 50 से 60 हजार रुपये तक का खर्च करना पड़ता है। इस असमानता के कारण उनके व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- यूनियन के लिए स्थायी कार्यालय की व्यवस्था की जाए- टैक्सी यूनियन ने मांग की है कि संगठन के प्रभावी संचालन के लिए तुलसी नगर, भोपाल में उसे G टाइप या F टाइप का सरकारी आवास आवंटित किया जाए।
- निजी टैक्सी कंपनियों पर भी निर्धारित शासकीय किराया दरें लागू की जाएं- यूनियन ने आग्रह किया है कि ओला-उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों पर भी वही कलेक्टर दरें लागू की जाएं, जो पारंपरिक टैक्सी चालकों के लिए निर्धारित हैं। वर्तमान में ये कंपनियां आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते मनमाने किराये तय कर रही हैं, जिससे टैक्सी चालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- फिटनेस मशीनों में तकनीकी गड़बड़ियों को सुधारा जाए- यूनियन का कहना है कि परिवहन विभाग की फिटनेस जांच मशीनें ठीक से कार्य नहीं कर रहीं। मामूली तकनीकी खामी पर भी वाहनों को फिटनेस प्रमाणन से वंचित कर दिया जाता है, जिससे चालकों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है।