आज बुधवार, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि है। आज रेवती नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज शरदोत्सव, व्रत की पूर्णिमा, कार्तिक स्नान आरम्भ, महर्षि वाल्मीकि जयन्ती, पाराशर ऋषि जयन्ती (मतान्तरे) है।
-श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनी स्कन्द पुराण, आध्यात्म रामायण, मत्स्य पुराण, श्रीमद् भागवत और कालिदास द्वारा रचित रघुवंश में विस्तार से वर्णित है।
-सुमति नामक भृगुवंशी ब्राह्मण और उनकी पत्नी कौशिक वंश की कन्या से उत्पन्न पुत्र का नाम अग्नि शर्मा (रत्नाकर) था। जन्म से ब्राह्मण जाति के थे।
-अग्निशर्मा (रत्नाकर) का तपस्या के बाद वाल्मीकि नाम हुआ।
-सप्तर्षियों के कहने पर उन्होंने राम नाम जप का 13 वर्ष तक कठोर तप किया था।
-वाल्मीकि जी ने उज्जैन स्थित कुशस्थली में आकर भगवान शिव की आराधना की थी।
-शंकर जी से कवित्व शक्ति पाकर उन्होंने उज्जैन में वाल्मीकि रामायण की रचना की थी।
-वाल्मीकि जी ने उज्जैन में वाल्मीकेश्वर शिव की स्थापना भी की थी।
-महर्षि वाल्मीकि ने किसी प्राचीन काव्य को बिना ही देखे, किसी ग्रन्थ से बिना ही सहारा लिए सर्वोत्तम काव्य “श्रीमद् वाल्मीकि रामायण” की रचना की है।
-बाद में तमसा नदी तट पर भी वाल्मीकि जी का आश्रम था।
-श्रीराम वनवास के समय वे चित्रकूट के समीप तथा राज्यारोहण काल में गङ्गा तट पर बिठूर स्थित आश्रम में रहते थे।
-शरद पूर्णिमा के दिन रात्रि को इन्द्र और महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। खीर का भोग लगाना चाहिए। इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
-पुण्यात्मा मानव के प्राण मुख मण्डल में स्थित सात छिद्रों से बाहर निकलते हैं। पापियों के प्राण गुदा – मार्ग से बाहर होते हैं। योगी मानव के प्राण ब्रह्मरन्ध्र फोड़कर निकलते हैं।
-कार्तिकेय जी ने त्र्यम्बकेश्वर (नाशिक) में तारकासुर को मारने वाली शक्ति प्राप्त की थी।
विजय अड़ीचवाल