लॉकडाउन ने पिछले 18 महीनों से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और इसका स्पष्ट रूप से रोजगार पर असर पड़ा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुमान के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर दिसंबर 2021 में बढ़कर 7.9 फीसदी हो गई, जबकि नवंबर में यह 7 फीसदी थी।
भारत में कोविड के कारण नवंबर में छह मिलियन से अधिक वेतनभोगी लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। यही नहीं भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 5 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर के साथ संयुक्त बेरोजगारी दर में वृद्धि से पीड़ित है। संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों के विपरीत, जहां भारी इस्तीफे से नौकरियों के बाजार में क्रांति आ रही है, भारत जैसी बड़ी आबादी वाला देश रोजगार के दबाव का सामना कर रहा है।
2019-20 में, भारत ने 408.9 मिलियन लोगों को रोजगार दिया, लेकिन महामारी के बाद से यह संख्या घटकर 406 मिलियन हो गई है। और यह उस देश के लिए शुभ संकेत नहीं है, जहाँ दुनिया के 1/5 युवा रहते हैं, और जहाँ सबसे बड़ा कार्य बल युवा है। इतने बड़े कार्यबल को समाहित करने के लिए देश को अपने युवाओं के लिए व्यावहारिक रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे।
रोजगार के मामले में मध्य प्रदेश के हालात भी चिंताजनक हैं। 2020-21 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने 3 मिलियन से अधिक बेरोजगार लोगों को पंजीकृत किया है। यह अनुमान है कि 2016 और 2026 के बीच 15-29 आयु वर्ग में 0.4 मिलियन लोग और 30-59 वर्ष के आयु वर्ग में अन्य 7.2 मिलियन लोग शामिल होंगे। 2026 में आधी से अधिक आबादी अभी भी 30 वर्ष से कम है, मध्य प्रदेश अपने युवाओं में निवेश करके और उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाकर अपनी युवा जनसंख्या का लाभ उठा सकता है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के अवसरों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है और मध्य प्रदेश में नियमित रूप से निवेशकों से मिल रहे हैं। राज्य सरकार हर जिले में रोजगार मेले आयोजित करने के लिए कदम उठा रही है और स्वरोजगार योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जैसे “उद्यम क्रांति योजना” जो एक से पचास लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करेगी जिसमें से 3% ब्याज सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाएगी।
12 जनवरी को, सीएम चौहान ने रोजगार मेले के तहत लगभग 3 लाख युवाओं को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से एक राज्यव्यापी रोजगार अभियान की योजना बनाई है। यह कदम सरकार ने प्रदेश में तेजी से हो रहे औद्योगिक विकास और आने वाली योजनाओं के मद्देनजर उठाया है।ऐसे ही औद्योगिक विकास की कड़ी में छतरपुर का बंदर डायमंड प्रोजेक्ट है, जिसमें बुंदेलखंड क्षेत्र में हजारों स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा सरकारी खजाने और आर्थिक गतिविधियों में लगभग 40,000 करोड़ रुपये का योगदान देने का क्षमता है।
प्राकृतिक संसाधनों, ईंधन, खनिज, कृषि और जैव विविधता से समृद्ध हमारा मध्य प्रदेश के विकास में निजी भागीदारी राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश खनिजों में समृद्ध है, कोयले, मैंगनीज,चूना पत्थर, हीरा, सोना और तांबे का उल्लेखनीय भंडार है। मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में ऐसे खनिजों के 21 खनन ब्लॉकों की नीलामी के लिए निविदायें आमंत्रित की हैं।
बंदर हीरा परियोजना – मध्य प्रदेश के लिए परिवर्तन की अग्रदूत
बंदर हीरा परियोजना अपनी तरह की पहली ग्रीनफील्ड डायमंड माइनिंग परियोजना है। इसमें एशियाई क्षेत्र की सबसे बड़ी हीरे की खदानों में से एक बनने की क्षमता है जो अंततः मध्य प्रदेश राज्य को वैश्विक मानचित्र पर लाएगी। बंदर डायमंड बुन्देलखंडियों के लिए लाभ, रोजगार के अवसर और एक नयी अर्थव्यवस्था को जन्म देगी।
विश्व भर के 15 में से 14 हीरे भारत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं। और ज्यादातर यह कारोबार सूरत, गुजरात में होता है। बंदर हीरा परियोजना के साथ, राज्य सरकार बुंदेलखंड क्षेत्र के आसपास के हजारों युवाओं के लिए रोजगार पैदा कर सकती है। हीरा पॉलिश उद्योग के लिए अपने युवाओं को कौशल और प्रशिक्षित करने की क्षमता के मामले में मध्य्प्रदेश का छतरपुर, गुजरात के सूरत को पीछे छोड़ सकता है।
वहीँ एक दूसरी और छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो पहले से ही प्रतिष्ठित वैश्विक स्थलों की सूची में है और राज्य सरकार पहले से ही खजुराहो में एक नया हीरा नीलामी केंद्र शुरू करने पर विचार कर रही है, जो की खजुराहो को एक नई देगा। हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के खनिज विभाग की वार्षिक समीक्षा में कहा कि खनिज स्रोत राज्य के लिए रोजगार और राजस्व के लिए महत्वपूर्ण हैं।
2022 एक नई शुरुआत का साल
बेरोजगारी और सामाजिक प्रतिबंधों के कारण इस महामारी के दौरान युवाओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर, विचारकों एवं नीति विश्लेषकों को महामारी के दौरान उत्पन्न बाधाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, युवा भारतीयों की महत्वपूर्ण चुनौतियों को संबोधित कर उनके समाधान का प्रयास करना चाहिए। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को हरी झंडी मिलने और बुंदेलखंड में नई समृद्धि लाने वाली बंदर डायमंड परियोजना के साथ, 2022 मध्य प्रदेश के लिए एक नई शुरुआत का वर्ष हो सकता है और क्षेत्र के युवाओं के लिए आशा की किरण ला सकता है।