आपने वो कहावत तो जरूर सुनी होगी कि अगर आप में मेहनत करने की हिम्मत और कुछ कर दिखाने का जज्बा तो आप कुछ भी कर सकते हो। इसी कहावत को सार्थक करते महाराष्ट्र के एक बच्चे की कहानी हम आपको सुनाने जा रहे है। जहाँ सरकारी स्कूल में सिर्फ एक छात्र पढ़ने आता है और उसे पढ़ाने के लिए भी सिर्फ एक शिक्षक ही आता है।
दरअसल, महाराष्ट्र राज्य के वाशिम जिले के गणेशपुर गांव में एक जिला परिषद प्राथमिक स्कूल है। जहाँ सिर्फ एक बच्चे का एडमिशन हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गणेशपुर गांव की आबादी सिर्फ 150 लोगों की है और यहां स्थित सरकारी स्कूल में एक से चार तक कक्षाएं हैं। इस स्कूल में कार्तिक शिगाओकर नामक छात्र तीसरी कक्षा में पढ़ता है। पिछले दो सालों से इस स्कूल में सिर्फ वही एकमात्र छात्र है।
सभी सुविधाओं से लेस है यह सरकारी स्कूल
गौरतलब है कि उसे पढ़ाने के लिए किशोर मानकर नामक शिक्षक रोजाना 12 किलोमीटर की दूरी तय करके आते हैं। वह अकेले शिक्षक होने के नाते कार्तिक को सभी विषय खुद ही पढ़ाते हैं। इस सरकारी स्कूल में भले ही एक छात्र और एक शिक्षक हैं, लेकिन स्कूल के नियम, शिक्षा, सुख-सुविधाएं और अन्य गतिविधियां दूसरे सरकारी स्कूल जैसी ही हैं।
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आपको बता दें यह स्कूल सुबह 10:30 बजे से खुल जाता है और दोपहर के 12:00 बजे तक चलता है। कार्तिक और किशोर स्कूल आकर सबसे पहले राष्ट्रगान गाते हैं और फिर पढ़ाई शुरू करते हैं। इसके साथ ही इस स्कूल में कार्तिक के लिए रोजाना मिड डे मील की व्यवस्था भी की जाती है। वहीं कार्तिक शिक्षक बताते है कि वो सिर्फ उसे पढ़ाने रोजाना 12 किलोमीटर का सफर तय करते है और इस काम को करने में उन्हें बोरियत भी नहीं महसूस होती है।