लोहड़ी का त्यौहार मनाने के पीछे है बेहद खास वजह, आग में तिल मूंगफली डालना होता है शुभ

pallavi_sharma
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भारत देश त्योहारों का देश है  हमारे देश में बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते है. इन त्यौहारों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. 12 महीनों में से ज्यादातर महीनों में कोई न कोई बड़े त्यौहार आते ही हैं. ऐसे ही जनवरी के महीने में लोहड़ी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, यह त्यौहार पंजाब  का प्रमुख त्यौहार है, एक समय ऐसा भी था जब यह त्यौहार पंजाब तक ही सीमित था, लेकिन अब देश के दूसरे राज्यों में भी इसकी धूम देखने को मिलती है. पूरा देश इस त्यौहार को बड़े हर्षोल्लास से मनाता है. क्या आपको पता है इस त्यौहार को क्यों मनाया जाता है? दरअसल, इस त्यौहार को मनाने की पीछे की वजह बहुत कम लोगों को पता है. आज हम आपको बता रहे हैं कि लोहड़ी का त्यौहार हर साल क्यों इतने धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है.

 

सूर्य और अग्नि देव का मानते हैं आभार
लोहड़ी के आसपास हमारे देश के किसान भाई नई फसलें काटते हैं. ऐसे में सूर्य और अग्नि देव को धन्यवाद देने और उनका आभार जताने के लिए इस त्यौहार को मनाया जाता है. लोहड़ी की अग्नि में रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ और पॉपकॉर्न आदि समर्पित किए जाते हैं. इसके साथ ही सूर्य नारायण और अग्नि देव से यह प्रार्थना की जाती है कि हमेशा हरी भरी  फसलों से खेत-खलिहान भरे रहे. घर अनाज के भंडार से हमेशा भरा रहे.  

 ये है पौराणिक कथा

 

हमारे देश में किसी भी त्यौहार को मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कहानी जुड़ी होती है. लोहड़ी मनाने के पीछे की ऐसी ही एक पौराणिक कथा बताई जाती है. इस कहानी के मुताबिक देवी सती के पिता राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया था. उस महायज्ञ में शामिल होने के लिए उन्होंने सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा, लेकिन अपनी बेटी सती और जमाता शिव को आमंत्रित नहीं किया था. उसके बाद दक्ष प्रजापति की बेटी देवी सती क्रोधवश उसी महायज्ञ की अग्नि में कूद गई थीं. तभी से इस त्यौहार को मनाया जा रहा है.

 दुल्ला भट्टी की कहानी

पंजाब और देश में बसे पंजाबी लोगों से अक्सर आपने लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी के गाने सुने होंगे. कहा जाता है कि वर्षों पहले मुगलकाल में अकबर के शासन के दौरान एक दुल्ला भट्टी नाम का शख्स होता था. उस समय लोग मुनाफे के लिए लड़कियों को बेच दिया करते थे, जिसके बारे में दुल्ला भट्टी को पता चल गया. इसके बाद दुल्हा भट्टी कई लड़कियों को बचाया और उनकी शादी भी कराई. इस पर्व पर दुल्हा भट्टी की कहानी सुनाई जाती है.