इंदौर: बेहतर स्वास्थ्य, प्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ शरीर और लम्बी आयु का सबब है। शरीर के हर एक अंग का महत्व जीवन और स्वास्थ्य को सुचारु बनाने में कारगर सिद्ध होता है। किडनी हमारे शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर से गैर-जरूरी गंदगी बाहर निकालकर उसे स्वस्थ रखने का काम करती है। लेकिन, बिगड़ती दिनचर्या और बदलते खानपान के तरीके किडनी पर अनुचित बोझ बढ़ाते हैं, जो किडनी संबंधित कई बड़ी बिमारियों के पनपने का प्रत्यक्ष कारण हैं। इसे प्रमुखता से लेते हुए समस्या से निजात दिलाने के रूप में इंदौर के प्रमुख हॉस्पिटल्स में से एक, मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल द्वारा ‘किडनी स्टोन परीक्षण शिविर’ का संचालन किया जा रहा है।
उक्त विषय पर डॉ. रवि नागर, एसोसिएट डायरेक्टर एवं हेड, यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग, मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल कहते हैं, “खराब खानपान का असर लोगों की किडनी पर बुरी तरह पड़ता है। फिटनेस के नाम पर भी अक्सर लोग बिना समझे प्रोटीन डाइट और फास्ट फूड में अतिरिक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप किडनी के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। किडनी, बीमारी के रूप में पनपने से पहले संकेत जरूर देती है, लेकिन अक्सर लोग इसे नज़रअंदाज करते रहते हैं। नियमित रूप से शुगर की जांच कराना और शरीर का वजन उचित बनाए रखना किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक कदम हैं। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, साथ ही नमक वाले आहार का सेवन कम से कम करना चाहिए।
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किडनी संबंधित बिमारियों की चपेट में सबसे अधिक मात्रा में गर्म स्थानों से ताल्लुक रखने वाले लोग आते हैं, जिसकी प्रत्यक्ष वजह मौजूदा स्थान पर पड़ने वाली गर्मी है। यहाँ अधिक गर्म जलवायु, पानी के कम सेवन और शरीर में मौजूद मेटाबोलिक प्रक्रिया में उतार-चढ़ाव के कारण इन क्षेत्रों के लोगों में किडनी में पथरी बनने की समस्या आम है। इन क्षेत्रों में पश्चिमी राजस्थान का नाम मुख्य रूप से शामिल है। यहाँ हर 12वें व्यक्ति में किडनी (गुर्दे) संबंधि कोई न कोई बीमारी है। यानी सबसे ज्यादा पश्चिमी राजस्थान के जिलों के लोगों में पथरी की समस्या सामने आई है।
डॉ. नागर आगे कहते हैं, “गर्मी के दिनों में पथरी की बीमारी (किडनी स्टोन डिसीज़) यानी यूरोलिथियासिस काफी तेजी से पनपती है। पीछे की तरफ किडनी वाले स्थान पर असहनीय दर्द का होना, उल्टी होना, यूरिन करते समय जलन होना या बुखार आना इसके कुछ मुख्य लक्षण हो सकते हैं। पथरी (स्टोन) की वजह से किडनी में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं, जो किडनी को डैमेज करने के कारक हो सकते हैं। इसलिए सही समय पर इसका सही इलाज कराना बहुत जरुरी है। आज के दौर में किडनी स्टोन की सर्जिकल प्रोसेस लगभग पूरी तरह इंडोस्कॉपिक हो चुकी है, यानी लेज़र या दूरबीन द्वारा किडनी में मौजूद किसी भी तरह के स्टोन को डील किया जा सकता है।”
स्टोन सर्जरी के दौरान एक दिन की एडमिशन प्रोसेस में यूटेरोस्कोपी, आरआईआरएस और मिनी पीसीएनएल/मिनी पर्क जैसी पद्धतियों द्वारा ट्रीटमेंट दिया जाता है। इस प्रकार की जाने वाली सर्जरी, कम दर्द और कम तकलीफ के साथ ही बेड रेस्ट की आवश्यकता पर विराम लगाती है।
अप्रैल माह में मेदांता द्वारा किडनी परिक्षण शिविर लगाने का मुख्य कारण यही है कि गर्मी के दौरान किडनी के मरीजों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी देखी जाती है। शुष्क और गर्म वातावरण होने के कारण किडनी और यूरेनरी की पथरी सामान्य तौर पर तेजी से पनपती है। अप्रैल माह में चलाए जा रहे इस शिविर में स्टोन डिटेक्शन के साथ ही यूरिन की जाँच, क्रिएटिनिन, सोनोग्राफी, एब्डोमन आदि इस परिक्षण में शामिल हैं, जिस पर थोड़ी बहुत नहीं, बल्कि 50% से भी अधिक की भारी छूट उपलब्ध है। खास बात यह है कि इन सभी जाँचों के साथ ही डॉ. रवि नागर का परामर्श भी होगा।