हिंदू धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है। शनि देव को कर्मफल दाता और न्याय के देवता के नाम से जानते हैं। भगवान शनि देव सभी के साथ न्याय करते है और व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनिदेव की कृपा पाने और उनकी कुदृष्टि से बचने के लिए शनि देव की पूजा और उपासना की जाती है और उपाय भी करते हैं। अगर शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं तो व्यक्ति को राजा बना देते हैं और अगर शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं तो व्यक्ति बर्बाद हो जाता है।इसीलिए शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए हम आपको कुछ उपाय बताने वाले हैं ।
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शनिदेव के प्रकोप से देवता भी घबराते हैं। व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसके अनुसार ही शनिदेव उसे उसके कर्मों का फल देते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो खास दिन शनिवार का होता है, लेकिन शनि जयंती के दिन भी कुछ उपाय करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शनि जयंती जेष्ठ माह की अमावस्या के दिन आती है और इस बार शनि जयंती 30 मई को है। शनि जयंती के दिन विशेष सहयोग भी बन रहा है क्योंकि इस दिन वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या भी है। इसीलिए शनि जयंती का यह दिन और भी खास हो जाता है। हम आपको भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं
शनि चालीसा और शनि देव की आरती करें
भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती के दिन स्नान आदि से निवृत्त हो जाने के बाद भगवान शनि देव के चरणों में प्रणाम करें, उन्हें नमन करें और अपने मन में शनिदेव का ध्यान करें। शनि जयंती के दिन भगवान शनिदेव की चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। शनि जयंती पर तिल के तेल और सरसों के तेल के दीपक से भगवान शनि देव की आरती करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की महिमा का गुणगान करने से वह प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के मन के मुताबिक उसे फल भी देते हैं।