निंदनीय को भी वंदनीय बनाता है सम्यक दर्शन – आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा

Deepak Meena
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इन्दौर : हमारे सारे दुखों की एक ही जड़ है हमारा शरीर। हमें जो जन्म मिला वह सुख का नहीं दु:ख का कारण है। जीवन भर इसमें दु:ख आते रहे बुढ़ापा है,बीमारी है और इस शरीर का कारण भी अगर कोई है तो वह जन्म है इसीलिए इसे निंदनीय कहा गया है। अगर इस निंदनीय शरीर को वंदनीय बनाना है तो एकमात्र उपाय सम्यक दर्शन के साथ ही बनाया जा सकता है। बगैर सम्यक दर्शन के ज्ञान भी बोझ है और बगैर सम्यक दर्शन का चारित्र भी कुछ नहीं।

उक्त विचार यशवंत निवास रोड़ स्थित राणी सती मंदिर में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने सभी जैन धर्मावलंबियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे अपने प्रवचनों में कहा कि सम्यक दर्शन भीतर का भाव है यह बाजार में मिलने वाली वस्तु नहीं है। सम्यक दर्शन पसंद करने की चीज है और सम्यक चारित्र करने जैसा है। परमात्मा की सभी आज्ञाओं का पालन करना सम्यक चारित्र है और उसको पसंद करना सम्यक दर्शन होता है। जिस तरह हम धर्म कर नहीं सकते तो उसे पसंद जरूर करें उसी तरह हमारी सोच सम्यक करने की नहीं भी हो लेकिन सम्यक दर्शन को पसंद तो कर ही सकते हैं।

श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी एवं अध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा बुधवार 19 एवं 20 जून को श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ क्लर्क कालोनी मंदिर में सुबह 9.15 से 10.15 बजे तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे।

पावागढ़ की घटना पर रोष व्यक्त
गुजरात के पावागढ़ में जैन धर्म के देवों की प्रतिमाओं को नष्ट करने की घटना पर श्वेतांबर जैन आचार्य विजय कुलबोधि सुरिश्वर जी इंदौर में धर्म सभा में रोष व्यक्त किया। उन्होंने जैन समाज के नागरिकों से इस घटना पर विरोध जताने का आह्वान किया। आपने गुजरात की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री व देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से इस घिनौनी हरकत के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई के साथ ही मदिर की जमीन वापस सोपने की मांग की।

संलग्न चित्र- यशवंत निवास रोड़ स्थित राणीसती मंदिर में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए।