कांग्रेस के कद्दावर मगर 75 साल के उम्ररसीदा नेता दिग्विजय सिंह ने बातों ही बातों में कह दिया कि अगले साल 76 का हो जाऊंगा उसके बाद पूरी तरह अध्यात्म में रम जाऊंगा। राजनीति छोड़ दूंगा। उन्हें ध्यान दिलाया गया कि यह बात आप एक पत्रकार की मौजूदगी में कह रहे हैं और यह बात छप भी सकती है। उन्होंने कहा कोई चिंता नहीं। छापना है छाप दो। बोल दिया सो बोल दिया।
परसों भारत जोड़ो यात्रा का सुबह का सत्र पूरा होने पर लगभग साढ़े दस बजे अन्य पदयात्री जहां छोटे छोटे पलंगों पर थकान उतार रहे थे, वहीं जमीन पर लगे अपने बिस्तर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पूजा में बैठे थे। एक दो अगरबत्तियां कुछ फूल उनके सामने थे और वे अर्ध पद्मासन में बैठे थे। आंखें बंद थीं। फोटो लेने की कोशिश की तो अन्य पदयात्रियों ने टोक दिया कि ये पूजा की फोटो नहीं लेने देते। उनके एक सहायक ने भी मना किया। चंद मिनट बाद उनकी पूजा संपन्न हो गई। हमें बुला कर बैठाया और खुद के लिए नाश्ता मंगाया।
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दो सख्त उबले ठंडे हो चुके अंडे और दो घंटे पहले तवे से उतरा सिकुड़ा हुआ ऑमलेट दोने में पहले से रखा था। उनके सहायक ने उन्हे उनका ऑमलेट और उबले अंडे का दोना दिया और हमें कटे हुए फल। दिग्विजय सिंह ने हमसे इजाज़त ली। कहा माफ कीजिए हो सकता है आप लोग शाकाहारी हों। मैं आपके सामने यह अंडा खाऊं तो कोई एतराज़ तो नहीं? जैसे तैसे उन्होंने अपना नाश्ता किया। कोई शिकायत नहीं कि अंडे पत्थर की तरह सख्त और ऑमलेट जमीन की तरह ठंडा क्यों है। दो बुजुर्ग आए। एक उनमें से कभी ना हारा विधायक था। बताया कि कभी हारा नहीं, मगर मेरी सीट ही रिजर्व हो गई। दिग्विजय सिंह ने बैठे-बैठे ही उन्हें चरण स्पर्श सा कर लिया। वे चले गए।
असल बात यहां से शुरू हुई। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा उनके पास आईं और किसी योगमुद्रा की कोई जानकारी लेने लगीं। दिग्विजय सिंह ने मजाक किया और कहा उपाय बताने के सवा रुपए लगेंगे। फिर कहने लगे हर आदमी का शरीर अलग है। ऐसी कोई योग क्लास सही नहीं हो सकती, जिसमें बहुत भीड़ हो। फिर देवरहा बाबा की बात निकली। साथी संजय वर्मा ने कहा आप तो योग और अध्यात्म के बारे में बहुत जानते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा 75 की आयु हो गई। बहुत साधु, योग गुरुओं के संपर्क में आया।
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अब अगले साल से राजनीति बंद। पूरी तरह अध्यात्म में रम जाऊंगा। संजय वर्मा ने कहा भी कि यह बात आप एक पत्रकार के सामने बोल रहे हैं। यह तो ब्रेकिंग न्यूज है। कहने लगे बनती है बन जाए ब्रेकिंग न्यूज। बोल दिया सो बोल दिया। संजय वर्मा उनके इंजीनियर कॉलेज के जूनियर निकले। पूछा कि आपने इंजीनियरिंग क्यूं नहीं की?बताने लगे कि एम टेक में सिलेक्शन हो गया था, पर पिताजी की मृत्यु के बाद मां ने बुला लिया। एम टेक कर के भी राजनीति ही करते सो बिना एम टेक किए कर ली।