राज ठाकरे की चेतावनी से गरमाई राजनीति, निशिकांत दुबे को दी डूबो-डूबोकर मारने की धमकी

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By Dileep MishraPublished On: July 19, 2025
राज ठाकरे की चेतावनी से गरमाई राजनीति, निशिकांत दुबे को दी डूबो-डूबोकर मारने की धमकी

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। मीरा-भायंदर में आयोजित ‘मराठी विजयी मेळावा’ कार्यक्रम के दौरान ठाकरे ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को मुंबई के समुद्र में डुबो-डुबोकर मारने की धमकी दे दी। ये बयान तब आया जब निशिकांत दुबे ने पहले राज ठाकरे को बिहार आने पर पटक-पटक कर मारने की चेतावनी दी थी।

क्या कहा राज ठाकरे ने?

“अगर तुम (निशिकांत दुबे) मुंबई आओगे, तो समंदर में डुबो-डुबो कर मारेंगे। यहां रहना है तो मराठी सीखनी पड़ेगी। मराठी भाषा का अपमान नहीं सहेगा महाराष्ट्र।” ठाकरे ने हाल ही में मीरा-भायंदर में एक दुकानदार को मराठी न बोलने पर मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा थप्पड़ मारने की घटना का समर्थन करते हुए कहा- “अगर कोई मराठी सीखने से इनकार करता है, तो थप्पड़ तो पड़ेगा ही।” राज ठाकरे ने हिंदी को “थोपी गई भाषा” करार दिया और कहा कि हिंदी का इतिहास 200 साल का है, जबकि मराठी 2000 साल पुरानी शास्त्रीय भाषा है। हिंदी ने अब तक 250 से अधिक भाषाओं को निगल लिया है। हिंदी किसी की मातृभाषा नहीं है, इसे सत्ता की भाषा बनाया गया है।

राजनीतिक और ऐतिहासिक सन्दर्भ

राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि हिंदी को अनिवार्य बनाना महाराष्ट्र की अस्मिता पर हमला है और इसका उद्देश्य मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना है।
उन्होंने दावा किया की सरदार वल्लभ भाई पटेल मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहते थे। गुजराती व्यापारी हमेशा से मुंबई पर नज़र रखते आए हैं
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए राज ठाकरे ने चेतावनी दी और कहा की अगर सरकार हिंदी थोपेगी, तो सिर्फ दुकानें ही नहीं, स्कूल भी बंद करवा दूंगा। राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय मीडिया, खासकर हिंदी चैनल, सत्ताधारी दलों के पक्ष में खबरें चलाते हैं। उन्होंने 2018 में गुजरात में बिहारियों पर हमलों का हवाला देते हुए कहा कि- गुजरात में बिहारियों को पीटा गया, लेकिन वह राष्ट्रीय खबर नहीं बनी। और जब हम मराठी अस्मिता की बात करते हैं, तो इसे नफरत की राजनीति कहा जाता है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और विवाद

राज ठाकरे के इस बयान से भाजपा और एमएनएस के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। बीजेपी के नेता उनके बयानों को “घृणा फैलाने वाला और संविधान विरोधी” बता रहे हैं, जबकि मनसे कार्यकर्ता इसे मराठी अस्मिता की रक्षा बता रहे हैं। क्या राज ठाकरे की भाषा आंदोलन के नाम पर हिंसा को बढ़ावा दे रही है? क्या क्षेत्रीय भाषाओं की रक्षा के नाम पर भारत की भाषाई एकता पर संकट खड़ा किया जा रहा है? राज ठाकरे के हालिया बयान ने भाषाई और क्षेत्रीय पहचान के सवाल को फिर से केंद्र में ला दिया है। एक ओर मराठी भाषा के सम्मान और संरक्षण की मांग है, तो दूसरी ओर संविधान में समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल भी खड़ा हो गया है।