15 या 16 मार्च कब है होली भाई दूज? जानें सही तिथि और तिलक का शुभ मुहूर्त, एक क्लिक में दूर करें कंफ्यूजन

2025 में होली भाई दूज 16 मार्च को मनाया जाएगा, जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का पर्व है। इस दिन बहनें भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन लेते हैं। भाई दूज का महत्व यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी एक पौराणिक कथा से है।

swati
Updated:
Holi Bhai Dooj 2025 : भाई दूज हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने का पर्व है। यह दिन भाई अपनी बहन से प्यार और समर्पण का वचन लेते हैं। इस दिन की एक दिलचस्प पौराणिक कथा भी है, जिसमें यमराज अपनी बहन यमुना के घर आए थे। यमराज ने अपनी बहन से तिलक करवाया और भोजन किया, जिसके बाद यमराज ने अपनी बहन को आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसकी उम्र लंबी होगी और उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी।


15 या 16 मार्च कब है होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025)?

इस साल भाई दूज 16 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। यह त्योहार विशेष रूप से उस दिन मनाया जाता है जब कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि का आरंभ 15 मार्च 2025 को शाम 02:33 बजे से होगा और समाप्ति 16 मार्च 2025 को शाम 04:58 बजे होगी।

Bhai Dooj पर तिलक के शुभ मुहूर्त

2025 में भाई दूज के दिन तिलक करने के लिए शुभ समय सुबह 09:30 से 11:00 बजे तक है। इसके बाद दोपहर 02:00 से 03:30 बजे के बीच भी तिलक किया जा सकता है। इस समय का सदुपयोग करके बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं।

तिलक लगाने के क्या हैं नियम?

होली के भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन का निमंत्रण देती हैं। वे भाई का प्रेमपूर्वक स्वागत करती हैं और उन्हें चौकी पर बिठाती हैं। ध्यान रखना चाहिए कि भाई का मुंह उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर हो। इसके बाद बहन भाई को कुमकुम से तिलक करती हैं और चावल लगाती हैं। फिर वह भाई को नारियल देकर देवी-देवताओं से उसकी सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। अंत में, बहन भाई को अपनी सामर्थ्यानुसार उपहार देती है और उसे स्वादिष्ट भोजन कराती हैं।

क्या हैं होली भाईदूज का महत्व

होली के बाद मनाए जाने वाला भाई दूज भाई और बहन के बीच गहरे प्यार और स्नेह का प्रतीक है। एक प्राचीन कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन के घर गए थे, जहां उन्होंने तिलक करवाया और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। इस दौरान यमराज ने अपनी बहन को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि जो भी भाई अपनी विवाहित बहन के घर जाकर तिलक करेंगे और साथ में भोजन करेंगे, उन पर अकाल मृत्यु का कोई भी संकट नहीं आएगा। इस दिन का महत्व सिर्फ पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना ही नहीं, बल्कि अपने प्रियजनों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करना भी है।

Disclaimer: यहां दी गई सारी जानकारी केवल के सामान्य सूचना है। इसे अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।