कवि का सम्मान, बिजनौर पुलिस चौकी अब ‘दुष्यंत कुमार पुलिस चौकी’ कहलाएगी

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प्रसिद्ध हिंदी गजलकार दुष्यंत कुमार के गाँव राजपुर नवादा(बिजनौर उ.प्र.) की पुलिस चौकी अब ‘दुष्यंत कुमार पुलिस चौकी’ के नाम से जानी जाएगी। जनपद के एसपी डा.धर्मवीर ने यह नामकरण किया है।

-कलेक्टर उमेश मिश्र ने दुष्यंत जी के पैतृक आवास को संग्रहालय में बदलने का निर्णय लिया है। केन्द्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुन मेघवाल ने इसकी स्वीकृति भी दे दी। और इसका लोकार्पण दुष्यंत जी की पुण्यतिथि 30 दिसम्बर को उनकी गजलों की संगीतमयी प्रस्तुति के साथ किया जाएगा।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसा करने में पीछे रह गए। हालांकि शीघ्रातिशीघ्र टीटी नगर के माडल स्कूल को दुष्यन्त कुमार के नाम करने की मांग उनसे की जा रही हैं। कहा जाता हैं कि दुष्यंत जी इसी माडल स्कूल में अध्यापक थे, भोपाल ही उनकी रचनाभूमि रही है संभव है कि उन्होंने शिवराज जी को पढ़ाया भी हो। वैसे उनके बेटे कर्नल अपूर्व त्यागी ने अपने रीवा के सैनिक स्कूल में पढ़ाई की है,.इस नाते दुष्यंत जी का यहाँ नियमित आनाजाना रहा हैं।
मांग उठ रहीं कि सैनिक स्कूल तक जाने वाली सिविल लाइन्स रोड को ‘दुष्यंत कुमार राजपथ’ घोषित कर दें तो कोसो को कोई आपत्ति नहीं।

दुष्यंत कुमार की एक ग़जल

अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार,
घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तहार।

आप बचकर चल सकें ऐसी कोई सूरत नहीं,
रहगुज़र घेरे हुए मुर्दे खड़े हैं बेशुमार।

रोज़ अखबारों में पढ़कर यह ख़्याल आया हमें,
इस तरफ़ आती तो हम भी देखते फ़स्ले बहार।

मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूँ पर कहता नहीं,
बोलना भी है मना सच बोलना तो दरकिनार।

इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके जुर्म हैं,
आदमी या तो ज़मानत पर रिहा है या फ़रार।

हालते इन्सान पर बरहम न हों अहले—वतन,
वो कहीं से ज़िन्दगी भी माँग लायेंगे उधार।

रौनक़े-जन्नत ज़रा भी मुझको रास आई नहीं,
मैं जहन्नुम में बहुत ख़ुश था मेरे परवरदिगार।

दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर,
हर हथेली ख़ून से तर और ज़्यादा बेक़रार।