क्षतिपूर्ति वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) की शासी निकाय की बैठक आयोजित की गई, जिसमें कैंपा फंड के तहत चल रही योजनाओं की प्रगति का विस्तार से मूल्यांकन किया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस फंड का उपयोग वनों के सतत संरक्षण, वानिकी विकास, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और वन क्षेत्र पर निर्भर समुदायों के हित में किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि देहरादून शहर में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए कैंपा फंड के उपयोग की अनुमति केंद्र सरकार से प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
विभागों की संयुक्त रणनीति से होगा जल संरक्षण का कार्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में जलस्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए एक प्रभावशाली कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि वन क्षेत्रों में जलस्रोतों की रक्षा और पुनर्जीवीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए वन विभाग को पेयजल, जलागम, ग्राम्य विकास और कृषि विभागों के साथ मिलकर संयुक्त रणनीति तैयार करने को कहा गया है। मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीकों और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से व्यापक योजना बनाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वृक्षारोपण केवल पौधे लगाने तक सीमित न रहे, बल्कि लगाए गए पौधों के जीवित रहने की दर (सर्वाइवल रेट) पर विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही, कैंपा फंड से चल रही परियोजनाओं की गुणवत्ता, समयबद्धता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए।

हरेला पर्व पर प्रदेशव्यापी वृक्षारोपण का निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि इस अभियान में विशेष रूप से फलदार और औषधीय पौधों को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही, पौधारोपण में आमजन की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए और लोगों को ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाने के लिए प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री ने वन विभाग को निर्देशित किया कि गौरा देवी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में प्रदेश के सभी वन मंडलों में फलदार पौधों का रोपण किया जाए।
स्थानीय लोगों को वन संरक्षण से जोड़ने की पहल
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि स्थानीय समुदायों को वन संरक्षण से जोड़ने के लिए स्वरोजगार और आजीविका केंद्रित कार्यक्रम शुरू किए जाएं, ताकि वे वन संपदा के सतत उपयोग और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।