किसी भी महिला को सर्वाइकल कैंसर से नहीं मरना चाहिए : डॉ. नम्रता कछारा

Pinal Patidar
Published on:

Indore News : सर्विक्स महिला के गर्भाशय (गर्भ) का मुख होता है। लगभग 6.29 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होता है। यह देश में दूसरी सबसे आम और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और दुनिया भर में इन मामलों का एक चौथाई हिस्सा है। यह 30 से 69 वर्ष (लगभग 17 प्रतिशत) के बीच महिलाओं में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।

उक्त बातें मेदांता हॉस्पिटल इंदौर की डॉक्टर नम्रता कछारा ने वर्ल्ड केंसर डे के अवसर पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कही। उन्होंने कहा कि यदि कारणों में देखा जाए तो शादी की कम उम्र कई यौन साथी गर्भधारण जननांगों का स्वच्छता का ध्यान नहीं रखना खराब पोषण की स्थिति गर्भनिरोधक का दुरुपयोग और जागरूकता की कमी शामिल हैं।
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के खिलाफ सभी युवा महिलाओं का टीकाकरण करके इसे रोका जा सकता है। प्रारंभिक अवस्था में कैंसर पूर्व घावों की जांच और उपचार करना।

Also Read – भाजपा के बूथ विस्तारक कार्यक्रम पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा BJP की वजह से फ्लॉप हुआ आयोजन

प्रथम यौन संबंध से पहले एचपीवी टीका सबसे प्रभावी होता है और आदर्श रूप से इसे 11 से 13 वर्ष की आयु (2 खुराक) या मेनार्चे के बाद (3 खुराक 0 महीने 1 महीने और 6 महीने) के बीच दिया जाना चाहिए। हालांकि किसी भी उम्र में टीका लगवाने का सुझाव जरूर दिया जाता है। साथ ही पुरुष साथी को महिला साथी के साथ टीका लगवाने की जरूरत है। सर्वाइकल कैंसर के बहुत शुरुआती मामलों को लीप यानि लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सिशन प्रोसीजर द्वारा किया जा सकता है जिससे महिलाओं की प्रजनन स्थिति को रोका जा सकता है लेकिन पुनरावृत्ति को रोकने के लिए फिर से टीका लगाया जाना चाहिए।

Also Read – वैलेंटाइन डे स्पेशल – अपने पार्टनर के लिए कीजिए शॉपिंग