दुनिया में महामारी के बाद अब मंकीपॉक्स गहन चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन इसी बीच भारतवाशियों के लिए राहत की खबर सामने आई है। देश में मिले 4 सक्रमितों में दो की जीनोम सीक्वेंसिंग जांच की गई तो उसमें पाया गया है की, मंकीपॉक्स वायरस का स्ट्रेन सुपर स्प्रेडर नहीं है। केरल निवासी दोनों मरीजों में वायरस का A.2 क्लैड मिला। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार मंकीपॉक्स वायरस के A.2 क्लैड के सुपर स्प्रेडर होने के सबूत नहीं हैं।
दूसरे देशों में अभी तक मंकीपॉक्स के कई मामले सामने आए। जिसमें भारत में अब तक 4 मंकीपॉक्स के मरीज मिले है। जिसमें देश की राजधानी दिल्ली में 1 मरीज और 3 मामलों की पुष्टि हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार केरल के दोनों व्यक्ति किसी संयोग के चलते संक्रमित हुए हैं।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को तय समय के भीतर मंकीपॉक्स के संक्रमण के मामलों का पता लगाने और उनके प्रबंधन के लिए एक संवेदनशील रणनीति पर काम करने के लिए कहा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस है- एक ऐसा वायरस जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं, हालांकि चिकित्सकीय रूप से यह कम गंभीर होता है।
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गौरतलब है कि, साल 2021 में मंकीपॉक्स वायरस का A.2 क्लैड फ्लोरिडा, थाईलैंड और वियतनाम में मिला था। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार भारत की स्थिति यूरोप या फिर अमेरिका से एकदम अलग-थलग पाई गई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बीते गुरुवार को मंकीपॉक्स संक्रमण से निपटने के लिए। सरकार एक कार्यबल का गठन करेंगी, जो केंद्र सरकार को इस बीमारी के निदान एवं उपचार संबंधी सुविधाओं को बढ़ाने तथा इसके टीकाकरण से संबंधित परामर्श और मार्गदर्शन का काम करेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने बीते बुधवार सलाह दी कि, जिन पुरुषों के मंकीपॉक्स की चपेट में आने का जोखिम है, वे ”फिलहाल” यौन साथियों की संख्या सीमित रखने पर विचार करें। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदानोम गेब्रेयेसेस ने कहा कि मई में मंकीपॉक्स का प्रकोप शुरू होने के बाद से इससे जितने लोग संक्रमित हुए हैं, उनमें से 98 प्रतिशत ‘गे’, ‘बाइसेक्शुअल’ और अन्य पुरुष हैं, जो पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं।