इंदौर 08 सितम्बर, 2021
नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि के धारकों के धारणाधिकार के संबंध में राज्य के दिशा-निर्देश के तहत नगरीय क्षेत्रों में स्थित शासकीय भू-खंडों के ऐसे अधिभोगियों को जिनके अधिभोग में 31 दिसम्बर 2014 या उसके पूर्व शासकीय भू-खंड आधिपत्य में रहे हैं और वर्तमान में भी आधिपत्य में चले आ रहे हैं, उन्हें चिन्हांकित कर प्रब्याजि एवं भू-भाटक लेकर उनके अधिभोग के भू-खंडों के 30 वर्षीय स्थाई पट्टे जारी करने के निर्देश हैं।
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राज्य शासन के राजस्व विभाग द्वारा पिछले साल जारी आदेश में उल्लेखित है कि नजूल भू-खंडों के धारकों के पास भू-खंड धारण का कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है और भू-अभिलेख संधारित भी नहीं है। जिसके आधार पर नजूल भूमि पर धारणाधिकार सुनिश्चित कर राजस्व की वसूली की जा सके। इससे धारकों को आवास निर्माण, जीर्णोद्धार या उन्नयन करने अथवा बैंक से आवास ऋण लेने में कठिनाईयां होती हैं।
नगरीय क्षेत्रों में स्थित शासकीय भूखंडों के ऐसे अधिभोगियों को जो उनके अधिभोग में 31 दिसंबर 2014 या उसके पूर्व निर्विवाद रूप से आधिपत्य में रहे हैं और वर्तमान में भी आधिपत्य में चले आ रहे हैं, चिन्हांकित कर प्रब्याजि एवं भू-भाटक लेकर उनके अधिभोग के भूखंडों के 30 वर्षीय स्थाई पट्टे जारी किये जायें। अधिभोग से आशय शासकीय भूमि पर आवास, वाणिज्यिक व व्यावसायिक प्रयोजन हेतु निर्माण कर उपयोग करना।
आवासीय भूखंड के मामले में 150 वर्गमीटर तक के क्षेत्रफल के लिए वर्तमान बाजार मूल्य के 5 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर तथा इस क्षेत्र फल से अधिक किन्तु 200 वर्गमीटर तक अतिरिक्त क्षेत्रफल के लिए वर्तमान बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर 200 वर्गमीटर क्षेत्रफल से अधिक क्षेत्रफल के मामले में संपूर्ण क्षेत्रफल के लिए वर्तमान बाजार मूल्य के 100 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर हो।
ऐसे अधिभोगियों के मामले जहां उनके अधिभोग की भूमि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 के लागू होने के पश्चात किन्ही वर्षों में भूमिस्वामी अधिकार में दर्ज रही है एवं कालांतर में इस भूमि को शासकीय भूमि घोषित किया गया है तथा ऐसी भूमि पर अधिभोगी कम से कम 25 वर्ष से निरंतर निवास कर रहे हैं। 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति में तथा ऐसी भूमियों पर वर्तमान में भी ऐसे अधिभोगी या वैध अंतरिती जो प्रश्नाधीन भूमि पर शासकीय घोषित होने के पूर्व से निवासरत तथा काबिज होने की स्थिति में अधिभोग के समस्त भूखंड को शून्य प्रब्याजि राशि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर स्थायी पट्टे पर आवंटित किया जाये।
मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) अधिनियम, 1984 के अधीन लाभ प्राप्त कर चुके हितग्राही इस परिपत्र के अधीन पट्टा प्राप्त करने हेतु अपात्र होंगे। साथ ही भूखंड 25 वर्ष तक निरंतर एक ही अधिभोगी के अधिभोग में होना आवश्यक नहीं होगा। वाणिज्यिक-व्यावसायिक भूखंड के मामले में 20 वर्गमीटर तक के भूखंड वर्तमान बाजार मूल्य के 25 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर तथा इस क्षेत्रफल से अधिक किन्तु 100 वर्गमीटर तक अतिरिक्त क्षेत्रफल के लिए वर्तमान बाजार मूल्य के 50 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर और 100 वर्गमीटर क्षेत्रफल से अधिक क्षेत्रफल के मामले में संपूर्ण क्षेत्रफल के वर्तमान बाजार मूल्य के 100 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजि लेकर वार्षिक भू-भाटक पर और स्थाई पट्टे पर आवंटन के मामले में प्रब्याजि के अतिरिक्त वार्षिक भू-भाटक ऐसे भूखंड के लिए मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (भू-राजस्व का निर्धारण एवं पुननिर्धारण) नियम 2018 के अंतर्गत निर्धारण के लिए विहित दर से दोगुनी दर पर देय होगा।
राज्य शासन इस कार्य हेतु कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी होंगे तथा उनके द्वारा स्वीकृति उपरांत पट्टा हस्ताक्षर कर जारी करने का कार्य कलेक्टर द्वारा प्राधिकृत अपर कलेक्टर-डिप्टी कलेक्टर द्वारा किया जायेगा। नगरीय क्षेत्रों में भूखंड के अधिभोगियों को स्थाई पट्टे-भूमिस्वामी अधिकार पत्र प्रदाय करने के लिए चरणबद्ध कार्यवाही की जायेगी। अधिभोगियों द्वारा पट्टा व भूमिस्वामी अधिकार पत्र प्राप्त करने हेतु आनलाइन आवेदन निर्धारित पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत करना होंगे। सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदनों के मामलों में प्रकरणवार दावे व आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा का प्रकाशन आयुक्त, कलेक्टर, तहसील तथा स्थानीय निकाय के कार्यालयीन सूचना पटलों पर कराया जायेगा। सक्षम प्राधिकारी मौके की स्थिति एवं क्षेत्र विशेष के अंतर्गत प्राप्त आवेदनों की संख्या के दृष्टिगत जांच हेतु आवश्यकता अनुसार एक या अधिक जांच दल गठित करेगा। जांच दल मौके पर जाकर जांच उपरांत सक्षम प्राधिकारी द्वारा संदर्भित आवेदन-आवेदनों के मामले में प्रतिवेदन तैयार करेगा।
नक्शा जिसमें 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति में शासकीय भूमि के अधिभोगियों के आधिपत्य के भूखंडों को पृथक-पृथक दर्शाया जायेगा। नक्शा तैयार करने हेतु 31 दिसम्बर 2014 के सेटेलाईट नक्शे की सहायता ली जा सकेगी। प्रत्येक आवेदित भूखंड के अधिभोग का क्षेत्रफल 31 दिसम्बर 2014 के सेटेलाईट नक्शे से, मिलान कर संगणित किया जायेगा। जांच दल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर सक्षम प्राधिकारी आवेदन प्रस्तुत करने वाले अधिभोगियों को यथास्थिति स्थायी पट्टा व भूमिस्वामी प्रमाण-पत्र जारी करने के पूर्व ऐसे अधिभोगियों से इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश देगा कि वे भूखंड पर 31 दिसम्बर 2014 या उसके पूर्व से अधिभोग में हैं। आधिपत्य के प्रमाण के लिए बिजली बिल, जल प्रदाय संबंधी बिल, किसी शासकीय कार्यालय या उपक्रम से भूखंड से संबंधित जारी कोई पत्राचार व दस्तावेज, जनगणना 2011 में उल्लेखित पता, स्थानीय प्राधिकारी द्वारा जारी संपत्ति कर की रसीद और मतदाता सूची में अंकित नाम व पता को माना जायेगा। निर्देश राज्य शासन द्वारा दिया गया है कि इसके लिए ऑन लाइन आवेदन करें या तहसीलदार से संपर्क करें। इसके लिए http://rcms.mp.gov.in/Citizen/publicDharanadhikar.aspx?Dharanadhikar=2 लिंक है।