Navratri 2022: माता का चमत्कार, 800 साल में भी नहीं भर पाया आधा फिट गहरा घड़ा

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Navratri 2022: देश भर में चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है. माता मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा और श्रृंगार के साथ देवी की अराधना की जा रही हैं. भारत अपने अंदर असीमित रहस्य लिए हुए है और कुछ ऐसे ही रहस्य वर्षों पुराने मंदिरों के भी है जिनका सच आज तक कोई नहीं जान सका.

ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान में है, जिसे शीतला माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. 800 वर्ष पुराने इस मंदिर के इतिहास और चमत्कार हर किसी को अचंभित कर देते है. इस मंदिर में माता के ठीक सामने एक भूमिगत घड़ा है जो कितना भी पानी डाल देने से कभी नहीं भरा वहीं चौंकाने वाली बात ये है की माता को भोग लगाए गए दूध से ये घड़ा तुरंत ही भर जाता है.

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मंदिर में मौजूद एक चमत्कारी घड़ी को एक पत्थर से ढक कर रखा जाता है और साल में दो बार ही यह बाहर निकाला जाता है. आधा फिट बहरा और थोड़ा यह घड़ा सदियों से इस मंदिर में रखा हुआ है. घड़े पर रखे पत्थर को हटा कर साल में दो बार ही ये घड़ा खोला जाता है. पहला शीतला सप्तमी पर और दूसरा ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर खोले गए इस घड़े में महिलाएं हजारों लीटर पानी डालती हैं लेकिन ये घड़ा नहीं भरता, लेकिन माताजी को भोग लगाएं दूध को घड़े में डालने पर ये भर जाता है. दूध डालने के बाद इस घड़े को फिर से ढक दिया जाता है. वैज्ञानिकों ने यहां पर कई शोध भी कर लिया है लेकिन इस घड़े का राज आज तक सामने नहीं आया है.

इस मंदिर और यहां मौजूद घड़े से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है जिसके मुताबिक 800 साल पहले बाबरा नाम के एक असुर ने इस क्षेत्र में आतंक मचा रखा था. यहां जिस भी दुल्हन की शादी होने वाली रहती थी असुर उसके होने वाले दूल्हे को मार देता था. इन सब से परेशान होकर ग्रामीणों ने देवी मां से इस समस्या का निवारण करने की गुहार लगाई. तभी गांव के एक पंडित को देवी मां ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि अगली शादी में ही इस असुर का अंत होगा. इसके बाद गांव में शादी के अगले आयोजन में देवी मां एक छोटी कन्या का रूप धारण कर पहुंची और जब असुर दूल्हे को मारने पहुंचा तो देवी ने उसे अपने घुटने के नीचे दबा दिया. देवी की शक्ति से हार कर उनसे प्राणदान देने की क्षमायाचना करते हुए कहा कि वह पाताल में चला जाएगा लेकिन बस उसके पानी पीने की व्यवस्था कर दें क्योंकि उसे प्यास बहुत लगती है. उसकी बात पर देवी मां ने उसे पाताल में भेज दिया और तभी से इस घड़े को साल में दो बार भरने की परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि घड़े में भरा जाने वाला पानी असुर पी जाता है और इसके बाद इस घड़े को दूध डालकर बंद कर दिया जाता है.