सावन का महीना आते ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। हर कोई भोलेनाथ को प्रसन्न करने में जुट जाता है, खासकर सोमवार को। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर भगवान शिव को सावन और विशेषकर सोमवार इतना प्रिय क्यों है? हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों और लोक मान्यताओं में इस सवाल का जवाब बड़ी ही श्रद्धा और विस्तार से दिया गया है। चलिए जानते हैं इस गहरे संबंध के पीछे की वजहें।
मां पार्वती की कठिन तपस्या से जुड़ा है ये महीना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना मां पार्वती की कठोर तपस्या का प्रतीक है। माता सती के देह त्याग के बाद उन्होंने पार्वती रूप में जन्म लिया और भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठिन व्रत और तप किया।
मान्यता है कि 108वें जन्म में सावन के दौरान तपस्या के फलस्वरूप मां पार्वती को भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए। यही कारण है कि सावन का महीना शिव-पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है और इसी कारण सोमवार व्रत को विशेष फलदायी माना गया है।

रुद्राभिषेक से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव
सावन में भगवान शिव के रुद्रावतार की भी विशेष चर्चा होती है। मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि को शिवजी रुद्र रूप में होते हैं, इस रूप में वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले और शीघ्र रुष्ट होने वाले देव कहलाते हैं।
इसलिए सावन के सोमवार को रुद्राभिषेक करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भक्त दूध, जल, शहद, बेलपत्र और भस्म से अभिषेक करते हैं ताकि भोलेनाथ शांत और प्रसन्न रहें।
समुद्र मंथन और विषपान से भी जुड़ी है मान्यता
शिवमहापुराण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें कालकूट विष निकला था। इस विष को पीने का साहस केवल शिवजी ने ही दिखाया।
भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए विषपान कर उसे अपने कंठ में रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। इसी घटना के चलते सावन शिव के त्याग और बलिदान का प्रतीक बन गया।
सावन में शिवजी आते हैं पृथ्वी लोक
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, सावन का महीना वो समय है जब भगवान शिव पृथ्वी लोक पर अपने ससुराल आते हैं। राजा दक्ष की पत्नी की इच्छा के अनुरूप, शिवजी पूरे सावन अपने ससुराल में रहे और वहीं उनका आदर-सत्कार हुआ।
ऐसा माना जाता है कि इस दौरान वे भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं और उनका सानिध्य पाने का ये शुभ समय होता है।
सोमवार व्रत का महत्व
सोमवार का दिन चंद्रमा (सोम) से जुड़ा होता है, और चंद्रमा को शिवजी ने अपने मस्तक पर धारण किया है। इसलिए सोमवार को चंद्रमा और शिव दोनों की उपासना का विशेष महत्व है।
सावन के सोमवार को व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट होते हैं और मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस व्रत को करती हैं, तो विवाहित महिलाएं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए शिव-पार्वती का पूजन करती हैं।