Big News: NASA के यान ने Mars पर खोजा पानी, देखें फोटो

Akanksha
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नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के यान ने मंगल ग्रह पर पानी होने का सबूत भेजा है। नासा के सबूत भेजने के बाद कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Caltech) के वैज्ञानिकों ने इसकी जांच पड़ताल की। जिसमे पता चला कि वहां पर पानी की वजह से बहकर आए सॉल्ट मिनरल्स (Salt Minerals) मिले हैं जो इस बात का सबूत है कि 200 करोड़ साल पहले मंगल की सतह पर पानी बहता था। करोड़ों साल पहले मंगल ग्रह पर नदियों और तालाबों का अथाह भंडार हुआ करता था।

वहीं ऐसा माना जाता है कि यहां पर सूक्ष्मजीवन भी रहा होगा जैसे-जैसे ग्रह का वायुमंडल पतला होता गया और पानी भाप बनकर उड़ गया। जिसके बाद अब सिर्फ जमा हुआ रेगिस्तानी इलाका बचा है। साथ ही यह खुलासा हुआ है नासा के स्पेसक्राफ्ट मार्स रिकॉन्सेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter – MRO) से मिले डेटा और तस्वीरों के आधार पर हुआ है। बता दें कि, पहले ऐसा माना जाता था कि मंगल ग्रह से पानी 300 करोड़ साल पहले खत्म हुए होगा। लेकिन अब इस स्टडी के बाद पता चला कि नहीं मंगल की सतह पानी 100 करोड़ साल बाद तक था।

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इसका मतलब 200 करोड़ साल पहले खत्म हुआ है। यह खुलासा करने के लिए कालटेक के दो वैज्ञानिकों ने MRO से मिले पिछले 15 साल के डेटा का एनालिसिस किया। जिसमें यह पता चलता कि लाल ग्रह (Red Planet) की सतह पर पानी की मौजूदगी 200 से 250 करोड़ साल पहले तक थी। यानी पुराने अनुमान की तुलना में एक अरब साल ज्यादा तक पानी बहा है। मंगल ग्रह (Mars) की सतह पर नमक का लकीरें दिखाई दी हैं जो बर्फीले पानी के पिघलकर भांप बनने के बाद बनी है।

नमक की यह लकीरें पहली बार देखी गई हैं लेकिन इसके बाद सवाल यह पैदा होता है कि मंगल ग्रह पर कितने दिनों तक सूक्ष्मजीव रहे होंगे। इलेन लीस्क और एलमैन ने बताया कि मंगल की सतह पर मौजूद गड्ढों की तलहटी में क्लोराइड की मात्रा काफी ज्यादा है हालांकि ये गड्ढे कभी छिछले तालाब हुआ करते थे। क्लोराइड की मौजूदगी कुछ ज्वालामुखीय मैदानी इलाकों में भी दिखाई दिया।

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एलमैन ने आगे कहा कि MRO के कैमरों ने एक दशक से ज्यादा समय में कई तरह की तस्वीरें भेजीं। हाई-रेजोल्यूशन, स्टीरियो, इंफ्रारेड डेटा आदि। इसी कैमरे की मदद से हमें पता चला है कि मंगल ग्रह की सतह पर नदियां और तालाब थे। नासा के मार्स ओडिसी ऑर्बिटर ने मंगल ग्रह पर सॉल्ट खनिजों की सबसे पहले खोज की थी। यह बात करीब 14 साल पुरानी है मार्स ओडिसी ऑर्बिटर साल 2001 में लॉन्च किया गया था।