आजकल बैंक घोटालें होना, बैंक करप्ट हो या फिर बैंक बंद हो जाना आम बात है। दुनिया भर के बैंकों की कोई ना कोई ऐसी खबर मिलती रहती है। हाल ही में दिवालिया हुए सिलिकॉन वैली बैंक के बाद अब यह बात सामने आ रही है कि सिग्नेचर बैंक भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। वहीं यूरोप के बैंक सुइस क्रेडिट को भी एक दूसरे बैंक ने टेकओवर कर लिया है। इससे दुनिया भर के बैंकिग सेक्टर पर संकट मना रहा है।
भारत में बैंकिंग के क्या हाल ?
एक बैंक रेटिंग एजेंसी ICRA के वॉइस चेयरमैन अनिल गुप्ता ने कहा, “वर्तमान में भारतीय बैंक अमेरिकी बैंकों की तुलना में ज्यादा बेहतर स्थिति में है। इसके पीछे मजबूत वित्तीय स्थिति और नियामक संस्थाओं की कड़ी निगरानी है।” भारत का बैंकिग सेक्टर अमेरिकी बैंकों से बेहतर है।
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आइए जानते हैं कितना मजबूत है भारत का बैंकिंग सेक्टर-
भारत के बैंक के मुखिया रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार बैंक को अपनी कुल कैपिटल और रिस्की संपत्ति का कम से कम बैलेंस 9 प्रतिशत रखना जरूरी है। यह आंकड़ा 16 फीसदी भारतीय बैंकों पर आधारित है। बेड लोन के बारे में बात की जाए तो भारत के बैंकों का बैड लोन पर ग्राफ लगातार नीचे की ओर जाता नजर आ रहा है। बेड लोन या फिर खराब कर्ज का अर्थ होता है ऐसा लोन जिसका समय पर भुगतान नहीं किया जाता। अगर हम 2019 और 2023 की तुलना करें तो भारतीय बैंकों पर 10.8% खराब कर्ज था, जो कि अब 4.9 फ़ीसदी ही घट कर रह गया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार भारतीय बैंकिंग प्रणाली विदेशों के मुकाबले काफी मजबूत है। यह बात गवर्नर ने भारत में बैंकिंग सेक्टर पर संकट की बात को लेकर कहीं।