हिंदी पत्रकारिता के प्रकाश स्तंभ

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अभय छजलानी भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। वे 1988 1989 और 1994 मैं संगठन के अध्यक्ष रहे इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आई एन एस) 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे। अभय जी 2004 में भारतीय प्रेस परिषद के लिए मनोनीत किए गए कार्यकाल 3 वर्ष रहा नईदुनिया इंदौर की विकास प्रक्रिया में अभय जी का बड़ा योगदान रहा उन्होंने जमाने से आगे रहकर नई से नई तकनीक का उपयोग किया और सफलता पाई। अभय छजलानी का जन्म 4 अगस्त 1934 को इंदौर में हुआ। 1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। 1963 में कार्यकारी संपादक का कार्यभार संभाला वर्ष 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉमसन फाउंडेशन कार्डिफ़ (यूके) से स्नातक की उपाधि ली।

हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले पहले पत्रकार थे। परिवार में पत्नी पुष्पा छजलानी पुत्र विनय छजलानी और पुत्रियां शीला और आभा है। उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वे दुनिया के कई महत्वपूर्ण देशों की यात्रा कर चुके हैं जिनमें ऑस्ट्रेलिया सोवियत संघ जर्मनी फ्रांस जॉर्डन थाईलैंड इंडोनेशिया तुर्की, आदि शामिल है। 1995 में मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष बने अभय जी को कई पुरस्कार मिल चुके हैं ऑर्गनाइजेशन ऑफ अंडरस्टैंडिंग एंड फेडरनिटी द्वारा वर्ष 1984 का गणेश शंकर विद्यार्थी सद्भावना अवार्ड वर्ष 1986 में राजीव गांधी ने प्रदान किया।

पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1997 जॉइंट इंटरनेशनल पुरस्कार तथा इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है अभय जी को इंदौर में इंदौर स्टेडियम अभय प्रशाल स्थापित करने के लिए भोपाल के माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने सम्मानित किया था। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए ऑल इंडिया अचीवर्स कांफ्रेंस ने दिल्ली में 1998 राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्रदान किया। उन्हें इसी वर्ष लालबाग ट्रस्ट इंदौर का अध्यक्ष बनाया गया।