सावधान! आज से शुरू होगा रोग पंचक, जानिए सावन में कब तक रहेगा इसका प्रभाव

जुलाई 2025 में पंचक की शुरुआत 13 जुलाई से हुई है, जो 17 जुलाई तक चलेगा। इस बार रोग पंचक बना है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी सावधानी और शुभ कार्यों से परहेज करने की सलाह दी गई है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई महीने में पंचक की शुरुआत 13 जुलाई 2025, रविवार की शाम 6:53 बजे से हो रही है। यह पंचक 17 जुलाई गुरुवार को रात 3:39 बजे समाप्त होगा। चूंकि इस बार पंचक रविवार से आरंभ हो रहा है, इसलिए इसे रोग पंचक कहा जाता है।

ज्योतिषशास्त्र में पंचक को एक ऐसा समय माना गया है जब चंद्रमा विशेष पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। इस काल को अशुभ समय की श्रेणी में रखा गया है, और इसमें किसी भी तरह के शुभ या मांगलिक कार्यों को करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

रोग पंचक

पंचक की शुरुआत रविवार से होने पर यह रोग पंचक कहलाता है, जो विशेष रूप से स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन पर असर डाल सकता है। ज्योतिष के अनुसार इस समय मानसिक तनाव, थकान, और छोटी-मोटी बीमारियां बढ़ सकती हैं। इस दौरान चिकित्सीय लापरवाही या मानसिक उत्तेजना से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय ऊर्जा को संतुलित रखने और शांति बनाए रखने का होता है।

सावन सोमवार और पंचक का संयोग

इस वर्ष सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है, जो कि पंचक की अवधि में आएगा। यह एक दुर्लभ संयोग है जब सावन के पहले सोमवार पर पंचक का प्रभाव रहेगा। ऐसे में भक्तों को पूजा-पाठ करते समय विशेष रूप से मानसिक एकाग्रता और सकारात्मकता बनाए रखने की सलाह दी जाती है, हालांकि शिवभक्ति के कार्यों पर पंचक का विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

पंचक काल में क्या न करें

पंचक को अशुभ समय माना जाता है, इसलिए इस दौरान गृह प्रवेश, वाहन या संपत्ति की खरीद, शादी, मुंडन, बड़े सौदे, या नए कार्य की शुरुआत से बचना चाहिए। यात्रा करने से पहले भी पंचक का विचार किया जाना चाहिए, विशेषकर दक्षिण दिशा की यात्रा से बचना चाहिए क्योंकि यह दिशा पंचक काल में विशेष रूप से वर्जित मानी जाती है।

चंद्रमा का गोचर और नक्षत्र प्रभाव

पंचक की गणना चंद्रमा की गति के आधार पर होती है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों में गोचर करता है और उपरोक्त पांच नक्षत्रों से गुजरता है, तभी पंचक बनता है। जुलाई पंचक के दौरान चंद्रमा 13 जुलाई को शाम 6:55 बजे कुंभ राशि में प्रवेश करेगा, जिससे पंचक आरंभ होगा। इसके बाद जैसे-जैसे चंद्रमा इन पांच विशेष नक्षत्रों से आगे बढ़ेगा, पंचक का समय चलेगा।

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