माघ के माह में जहां कहीं भी जल हो, वो गंगाजल के समान होता है. तभी तो इस पवित्र और पावन महीने में तीर्थ स्नान, सूर्य देव, मां गंगा और श्री हरि विष्णु की पूजा का खास महत्व है. इस महीने में पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने की महिमा व प्रतिष्ठा अपंरपार है.
माघ का पावन माह पहले माध का महीना था, जो बाद में माघ हो गया. माध शब्द का संबंध श्री कृष्ण के एक स्वरूप “माधव” से है. इस माह को अत्यधिक पवित्र माना जाता है. इस माह में ढेर सारे धार्मिक उत्सव आते हैं, साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है. इसी माह में संगम पर “कल्पवास” भी किया जाता है, जिससे इंसान का शरीर आत्मा से नवीन हो जाता है. इस बार माघ का महीना 7 जनवरी से 5 फरवरी तक रहेगा.
साथ ही ऐसी मान्यता भी हैं कि माघ के माह में जहां कहीं भी जल हो, वो गंगाजल के ही अनुरूप होता है. तभी तो इस पवित्र माह में तीर्थ स्नान, सूर्य देव, मां गंगा और श्री हरि विष्णु की पूजा का खास महत्व है. इस महीने में पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने की महिमा अपरंपार है. माघ में संगम पर कल्पवास करने की प्रथा और रिवाज़ है. कहते हैं इससे शरीर और आत्मा पवित्र हो जाती है.
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माघ महीने के नियम
इस माह में गर्म पानी को धीरे धीरे त्याग कर साधारण जल से स्नान करना आरंभ कर देना चाहिए. सुबह देर तक सोना, स्नान न करना सेहत के लिए सर्वोत्तम नहीं माना जाएगा. इस महीने से भारी भोजन का त्याग कर देना चाहिए. इस महीने में तिल और गुड़ का प्रयोग ख़ास लाभकारी होता है. अगर मात्र एक वेला भोजन किया जाए तो आरोग्य और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. इस महीने के साथ ही खरमास का समापन हो जाता है और शुभ व मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है.
माघ के महाउपाय
माघ के महीने में नियमित सुबह भगवान कृष्ण को पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें. ‘मधुराष्टक’ का पाठ करें. अपनी श्रद्धा के अनुसार नियमित किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं. संभव हो तो एक ही समय भोजन करें।
माघ के प्रमुख व्रत-त्योहार
संकष्ठी चतुर्थी- संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है, संतान की समस्त चिंताए दूर होती हैं.
षठतिला एकादशी- इसमें तिल का खास प्रयोग करके सेहत और समृद्धि पाते हैं.
मौनी अमावस्या- इसमें मौन रहकर पाप नाश और आत्मा की शुद्धि की साधना करते हैं.
बसंत पंचमी- ज्ञान, विद्या बुद्धि के लिए देवी सरस्वती की विशेष उपासना करते हैं.
जया एकादशी- इस दिन खास पूजा पाठ करने से ऋणों तथा दोषों से छुटकारा मिलता है.
माघी पूर्णिमा- इस दिन भगवान शिव और विष्णु , दोनों की संयुक्त कृपा मिलती है.
दान की सतर्कता और नियम
माघ एक ऐसा माह हैं जिसमें किया हुआ दान अक्षय फल प्रदान करता है. एक ऐसा पावन महीना जिसके आने से शुभ और मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं. हालांकि इस महीने दान करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवशयक है. दान कभी भी किसी दबाव में नहीं देना चाहिए. दान कभी भी ऐसे मनुष्य को नहीं देना चाहिए जो कुपात्र हो.
जो भी वस्तुएं दान में दी जाएं वो सबसे उत्तम कोटि की होनी चाहिए. कुंडली में जो ग्रह महत्वपूर्ण हों उनका दान कभी न करें. दान में मांस,मदिरा आदि वस्तुएं न दें तो बेहतर है. दान देते वक़्त मन में सदैव ये भाव रखें कि ये वस्तु ईश्वर की दी हुई दें है. ये सेवा या दान मैं ईश्वर को ही कर रहा हूं.