अरविंद तिवारी: इंदौर नगर निगम में चार चुनाव से लगातार हार रही कांग्रेस के नेता इस बार भी अपने नेता कमलनाथ की मेहनत पर पानी फेरने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इनमें भी सबसे आगे वे नेता हैं जो इंदौर में खुद को ‘साहब’ का खास बताने में पीछे नहीं रहते हैं और हार का रिकार्ड कायम कर चुके हैं। पिछले तीन दिन से इंदौर के ये भागीरथी नेता कांग्रेस के महापौर पद के उम्मीदवार संजय शुक्ला को मजबूती देने बजाय इस बात के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं कि उनके पट्ठे हर हालत में टिकट पा जाएं। मेहनत भी वे जिन पट्ठों के लिए कर रहे हैं, उनकी वार्ड में हैसियत क्या है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है।
इंदौर में कमलनाथ के नंबर वन माने जाने वाले विनय बाकलीवाल चाहते हैं कि हर विधानसभा क्षेत्र में उनके वे समर्थक उपकृत हो जाएं जो दूसरे दावेदारों से बहुत हल्के हैं। अपने इन समर्थकों के लिए उन्हें मजबूत दावेदारों की बलि लेने में भी परहेज नहीं है। इसी के चलते बाकलीवाल कल रात कमलनाथ की फटकार भी खा चुके हैं। विधानसभा एक और राऊ में ही बाकलीवाल की दाल नहीं गल पा रही है। पंकज संघवी इंदौर में हार का रिकार्ड कायम कर चुके हैं। दो बार लोकसभा हारे, एक बार महापौर का चुनाव और एक बार विधानसभा। पिछला लोकसभा चुनाव तो वे रिकार्ड मत से हारे और उसके बाद अपने कारोबार में लग गए। पार्ट टाइम पॉलिटिशियन की शोहरत रखने वाले संघवी अब इस बात के लिए अड़े हुए हैं कि इंदौर पांच विधानसभा क्षेत्र में उनके दो-तीन समर्थक किसी भी हालत में एडजस्ट हो जाएं। संघवी कल रात इस मुद्दे पर विजयलक्ष्मी साधौ से भी तकरार कर चुके हैं।
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इंदौर चार के कई वार्डों में सुरजीत चड्ढा अपनी दखलांदाजी चाहते हैं। यहां कांग्रेस जैसे-तैसे पांव जमाने की कोशिश कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की जो दुर्गति हुई वह किसी छुपी हुई नहीं है। बावजूद इसके यहां के वार्डों को लेकर ऐसी खींचतान मची हुई है कि मानो इन्हीं से अगले चुनाव की उम्मीदवारी तय हो। अल्पसंख्यक वार्डों को लेकर जो खींचतान मची है, उससे ऐसा लग रहा है कि कहीं कांग्रेस को परम्परागत जीत वाले इन वार्डों में भी मुंह की न खाना पड़े। इन वार्डों में भी आपकी पार्टी के नेता पेंच लड़वा रहे हैं।
कमलनाथ जी, इंदौर के इन घाघ नेताओं से पार पाना आसान काम नहीं है। आपके सामने जरूर ये सहमें हुए रहते हैं, लेकिन ये आपके भरोसे के साथ कभी भी दगा कर सकते हैं। इन्हें न चिंता आपकी मेहनत की है, न ही आपके महापौर पद के उम्मीदवार संजय शुक्ला की जीत को सुनिश्चित करने में इनकी रुचि है। इनकी रुचि तो बस इस बात में है कि इनके पट्ठे किसी भी तरह उपकृत हो जाएं, ताकि दो-चार लोग तो इनके आगे-पीछे चल पाएं।
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