अर्जुन राठौर
मोदी सरकार द्वारा कोरोना काल में देशभर के उद्योगों, लघु उद्योगों और अन्य व्यवसायियों को 20 हजार करोड़ से अधिक की रियायतें दी गई लेकिन इस रियायत में कहीं पर भी मीडिया जगत का कोई उल्लेख नहीं है । यानी सरकार की किसी भी प्रकार की राहत का लाभ देश के मीडिया जगत को नहीं मिल पाया है। जबकि देश का मीडिया इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और इसके कारण अखबारों में और चैनलों में बड़े पैमाने पर पत्रकारों तथा कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है। मीडिया जगत का यह मानना है कि कोरोना काल में ना केवल विज्ञापन घटे हैं बल्कि प्रसार संख्या पर भी असर पड़ा है। अखबारों को प्रसार संख्या से तो वैसे भी कोई लाभ नहीं होता था लेकिन बाजार के बुरे हाल होने के बाद से विज्ञापन भी मिलना बंद जैसे हो गए ऐसे में जरूरत इस बात की है कि मीडिया जगत को भी सरकार राहत प्रदान करें और इस शर्त पर वह राहत दे सकती है कि मीडिया जगत कर्मचारियों की और पत्रकारों की छंटनी का काम बंद कर दें ।
इस तरह के प्रयोग अमेरिका ब्रिटेन और अन्य कई देशों में हुए हैं जहां पर उद्योगों को तथा संस्थानों को सरकार की ओर से राहत दी गई और यह शर्त भी लगा दी गई कि वे कर्मचारियों की छंटनी नहीं करेंगे। अगर भारत में भी ऐसी कोई पहल मोदी सरकार के द्वारा की जाती है तो इससे निश्चित रूप से मीडिया को एक बड़ा लाभ मिल सकता है। वैसे भी जिस तेजी के साथ मीडिया संस्थानों द्वारा पत्रकारों तथा कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। वह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है। कई जगह तो पत्रकारों ने धरने और प्रदर्शन भी किए हैं देश भर के मीडिया में लगभग यही माहौल है ऐसे में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी पहल करते हुए ऐसी कोई योजना बनानी चाहिए जिससे सरकार के राहत पैकेज का लाभ मीडिया को भी मिल सके सरकार भी इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि प्रजातंत्र का चौथा खंबा इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है ऐसे में इसकी रक्षा करने के लिए सरकार को स्वयं भी पहल करना चाहिए ।