क्या इंदौर पाकिस्तान बनता जा रहा है

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नितेश पाल

प्रदेश की आर्थिक राजधानी का हो या मुख्यमंत्री के सपनों का शहर लेकिन इंदौर के हालात देखकर कभी-कभी लगता है कि इंदौर अब पाकिस्तान बनता जा रहा है। जिस तरह पाकिस्तान में कत्लेआम हत्या एक आम बात है उसी तरह इंदौर में भी हर रोज मर्डर की खबर आ जाती है। हो भी क्यों ना जिस तरह पाकिस्तान में संविधान और अदालत से बढ़कर फौजी अफसरों का आदेश होता है उसी तरह इंदौर में भी अफसरों का आदेश ही संविधान और कोर्ट से ऊपर होता जा रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं को संविधान में तो हक दिया है लेकिन हकीकत में नहीं उसी तरह इंदौर में संविधान और कोर्ट के आदेशों के बाद दलित आदिवासियों को जो हक मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा।

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ताजा उदाहरण इंदौर नगर निगम के चुनावों को लेकर है। नगर निगम चुनावो के लिए बीते साल जो आरक्षण हुआ था, उसमें दलित और आदिवासियों के हक़ को लेकर जो याचिका लगी थी उसमें हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने 10 जनवरी 2022 को जो फाइनल आदेश दिए थे, उसके आखिरी पैरा में लिखा था ये कानूनी रूप से सही नही है इसलिए इसे खत्म किया जाता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर 10 मई को आदेश में हाईकोर्ट में विचाराधीन याचिकाओं के अंतरिम आदेश खत्म किए थे।

कानून को समझने वालों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से हाईकोर्ट का आदेश समाप्त नही हुआ। लेकिन इंदौर के अफसर हाईकोर्ट के आदेश को मानने से भी इंकार कर रहे हैं। जिस आरक्षण को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था उसी को सही मानकर फिर से केवल पिछड़ों का आरक्षण करने की तैयारी है। हाईकोर्ट की नजर में अफसरों का जो फैसला कानूनी तौर पर गलत था उसे लागू करने के लिए अफसर आमादा हैं।

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ऐसा सिर्फ पाकिस्तान में ही होता है कि कोर्ट के आदेश को भी ना माने और अपनी मनमानी किया जाए वहां पर जनता को फौजी अफसरों के खिलाफ बोलने की आजादी नहीं है बोलने वाले को या तो गायब कर दिया जाता है या अपराधी घोषित कर दिया जाता है इसी तरह इंदौर में भी जनता की बात करने वाला सीधे देशद्रोही या अपराधी घोषित कर दिया जाता है उसके मकान दुकान नौकरी सब छीनने पर आमादा हो जाते है। ताकि उनके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठ पाए।

आश्चर्य तो कोर्ट के रवैया को लेकर होता है जो अपने ही आदेश का पालन नहीं करवा पा रहे हैं जबकि भारत के संविधान मैं कोर्ट के अधिकार काफी स्पष्ट है। लेकिन शायद अफसरो को मालूम है कि कोर्ट के आदेश को नही मानकर भी उनका कुछ नही होगा, इसलिए वे कोर्ट को भी कुछ नही समझ रहे। देखते हैं बुधवार को कोर्ट के आदेश का पालन होता है या पाकिस्तान की व्यवस्था पर काम होता है।