इंदौर। इंदौर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता के साथ साथ स्वाद की राजधानी का भी दर्जा दिया है, यहां लोगों के दिन की शुरुआत पोहे और मिठास से भरपूर जलेबी से होती है। इसी कड़ी में हम आपके लिए लाए हैं इंदौर के बेहतरीन और स्वादिष्ट व्यंजनों की जानकारी।
सादी जलेबी, पनीर जलेबी, मावा जलेबी और अन्य प्रकार कि जलेबी मिलती है शहर में
अपनी बोली मैं मिठास के साथ यहां इंदौर के लोग मीठी जलेबियों के काफी शौकीन है। शहर में कालानी नगर, छावनी, शियागंज, विजय नगर और अन्य जगहों पर एक हजार से ज्यादा दुकानें है। यह स्वादिष्ट जलेबिया मावा जलेबी, पनीर जलेबी और सादी जलेबी शहर में बनाई जाती है।
50 से 70 किलो मैदे खमीर और अन्य चीजों का मिश्रण तैयार किया जाता है रोजाना।
मौसा जलेबी के ऑनर रितेश कछवाहा बताते है, कि हमारे ससुरजी ने इसकी शुरुआत की थी अब में इसे देख रहा हूं। लगभग रोजाना दोनों दुकानों पर 70 से 80 किलो जलेबी का मिश्रण तैयार किया जाता है, वहीं स्वाद ना बिगड़े इसको लेकर बहुत ध्यान रखना पड़ता है, कारीगर के भरोसे कुछ नहीं छोड़ते।
शहर में है एक हजार से ज्यादा दुकानें हर रोज बढ़ती है खपत
शहर में लगभग एक हजार से ज्यादा दुकानें जलेबी की है, वहीं इसके ग्राहकों में हर साल 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है, लोगो के बीच इंदौर का पोहा जलेबी फेमस होने से लोग बाहर से खाने आते है और पैक करवाकर साथ ले जाते है। शहर में कई छोटी और बड़ी दुकानें है, जिसमें अगर हम छोटी दुकानों की बात करें तो दस से पंद्रह किलो वहीं बड़ी दुकानों पर चालीस से पचास किलो मिश्रण तैयार किया जाता है।
1995 से शुरू हुई मौसा जलेबी बांट रहे 28 सालों से अपनी मिठास
अपने स्वाद और मिठास का जादू शहर में बिखेरने वाले मौसा जलेबी की शुरुआत 1995 में हुई थी। बाबूलाल जी सोलंकी ने उज्जैन से आकर इसकी शुरुआत लगभग 28 साल पहले कालानी नगर से की थी, और आज शहर में हर जबान पर उनकी जलेबी का स्वाद चढा है।
साडू भाई के शहर आए तो नाम पड़ा मौसा जलेबी
उज्जैन से आकर बाबूलालजी सोलंकी ने जलेबी शुरुआत शहर में की थी। यहां उनके साडू भाई रहते थे तो बच्चे मौसा जलेबी वाले कहते थे, तब से नाम पद गया मौसा जलेबी। उनके देहांत के बाद उनकी पत्नी ने लगभग 9 साल और अभी पिछले 14 साल से उनके दामाद संभाल रहे है यह स्वाद का जायका।
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