विपिन नीमा, इंदौर। शहर की शान व पहचान कहें जाने वाले तथा लोगों के दिलों में बसा राशाही महल जिसे हम राजवाड़ा कहते है। ये महल प्रदेश के गौरव के रूप में जाना जाता है साथ ही शहर का मुख्य केंद्र भी है. इतिहास के सुनहरे पन्नो पर राजबाड़ा का इतिहास दर्ज है। फिलहाल एक अच्छी खबर यह है कि शहर के बीचों-बीच स्थित राजबाड़ा की ऐतिहासिक इमारत बहुत ही जल्दी लोहे के जंजाल से मुक्त होने जा रही है।
गणेश चतुर्दशी से एक दिन पहले से इमारत के फ्रंट साइड पर बने स्ट्रक्चर से लोहे के पाइप निकालने का श्रीगणेश हो गया है। पूरा स्ट्रक्चर हटाने के लिए कम से एक सप्ताह का समय लग सकता है।
30 टन लोहे का स्ट्रक्चर से कवर थी इमारत
ऐतिहासिक इमारत विगत 3 साल से लोहे के पाइप से घिरी हुई थी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 15 करोड़ रु की लागत से राजवाड़ा को उसके पुराने स्वरूप में लाने के लिए जीर्णोद्वार का काम चल रहा है। निर्माण कार्य के लिए निर्माण कंपनी ने राजबाड़ा के मुख्य द्वार पर नीचे से ऊपर तक की मंजिल को लोहे का मजबूत स्ट्रक्चर खड़ा किया है। एक अनुमान के अनुसार लोहे के इस स्ट्रक्चर का कुल वजन लगभग 30 टन वजन बताया गया है। इस स्ट्रक्चर के सहारे ही अनुभवी कारीगर अपनी कारीगरी के जरिए राजवाड़ा को संवारने के काम कर रहे थे।
स्ट्रक्चर के हटते ही राजबाडा अपने मूल स्वरूप में दिखाई देगा
बताया जा रहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजबाड़ा का जीर्णोद्वार का लगभग अंतिम चरणों मे पहुँच गया है। स्ट्रक्चर के हटते ही राजबाडा अपने मूल स्वरूप में दिखाई देगा। इतने बड़े स्ट्रक्चर को खड़ा करने में काफी मशक्कत करना पड़ती है। लकड़ी के मचान की तुलना में ये लोहे के मचान ज्यादा व्यवस्थित ओर सुरक्षित रहते है। राजबाड़ा की फ्रंट साइड के हिस्से की बिल्डिंग को लोहे के स्ट्रक्चर से कवर करके रखा गया है, जो सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर है। आपको बता दें 2017 से राजबाड़ा के जीर्णोद्वार का कार्य चल रहा है।
दो शताब्दी पहले मराठा साम्राज्य के होल्करों ने बनवाया था ये महल
राजवाड़ा शहर में एक ऐतिहासिक महल है। इसे लगभग दो शताब्दी पहले मराठा साम्राज्य के होल्करों ने बनवाया था। यह सात मंजिला संरचना छतरियों के पास स्थित है और आज शाही भव्यता और स्थापत्य कौशल का एक बेहतरीन उदाहरण है।