नई दिल्ली। भारत में रेलगाड़ी का बहुत बड़ा नेटवर्क देखने को मिलता है जिनमें पैसेंजर गाड़ियों के साथ ही माल गाड़ी भी चलती है बता दें कि रोजाना लाखों लोग ट्रेन का इस्तेमाल करते हुए अपनी यात्रा को करते हैं। लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि रेल के डिब्बों का कलर लाल, नीला और हरा ही क्यों रहता है। ज्यादातर लोग ट्रेन का सफर करते हैं। लेकिन ट्रेन से जुड़ी जानकारियों को नहीं जानते हैं।
भारत के रेल नेटवर्क की बात की जाए तो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क भारत में मौजूद है और एशिया में बात की जाए तो दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है भारत में आज 12,167 पैसेंजर ट्रेनें संचालित होती है। जिनमें लोकल एसी, नॉन एसी सभी शामिल है। देश की यातायात व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए यह ट्रेन दिन-रात पटरी पर चलती नजर आती है।
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इतना ही नहीं देश में सभी तरह के माल को लाने ले जाने के लिए तकरीबन 7,349 माल गाड़ी चलती है। भारतीय ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों के आंकड़े की बात की जाए तो तकरीबन 23 मिलियन लोग एक दिन में सफर करते हैं बड़ी बात यह है कि अमेरिका की कुल आबादी ही इतनी है जितनी भारत में 1 दिन में लोग ट्रैवल करते हैं। लेकिन इन लोगों ज्यादातर लोगों को ट्रेन के डिब्बे के कलर के बारे में जानकारी नहीं होगी।
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तो चलो इस आर्टिकल में हम आपको ट्रेन के डब्बे के तीनों कलर के बारे में जानकारी देते हैं। रेलवे के आंकड़ों के अनुसार देश में ज्यादातर लाल कलर के चलते हैं जो कि वातानुकूलित ऐसी लेस होते हैं। इन लाल रंग के डिब्बो को LHB यानी Linke Hofmann Busch कहा जाता है। जो भी काफी हल्के होते हैं। इनमें stainless-steel का इस्तेमाल किया जाता है ताकि पटरी पर यह ₹200 प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकें। इनका निर्माण पंजाब के कपूरथला में किया जाता है। इनमें ऊपर ऐसी के फैन भी लगे होते हैं।
नीले रंग के डिब्बे की बात की जाए तो उन्हें Integral Coach Factory कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मैं 70 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ाया जा सकता है। इन एक्सप्रेस या सुपरफास्ट के साथ में चलाया जा सकता है। इनके वजन जाता होते हैं। इतना ही नहीं इनका मेंटेनेंस भी महँगा पड़ता है। इसकी फैक्ट्री तमिलनाडु में मौजूद हैं। देश में हरे रंग के कोच का उपयोग गरीब रथ ट्रेनों में किया जाता है। इतना ही नहीं आपने भूरे रंग के भी डिब्बे देखे होंगे जिसका उपयोग मीटर गेज ट्रेनों में होता है। लेकिन पिछले कुछ समय में इन डिब्बो का इस्तेमाल धीरे धीरे बंद होता जा रहा है।