Census 2027 : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को देश के सबसे बड़े प्रशासनिक और सांख्यिकीय अभ्यास यानी जनगणना 2027 के लिए रास्ता साफ कर दिया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि यह जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी।
यह अब तक की 16वीं और आजादी के बाद की 8वीं जनगणना होगी। गौरतलब है कि पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 की जनगणना कोविड महामारी के कारण नहीं हो सकी थी। सरकार ने इस बार प्रक्रिया को आधुनिक और समावेशी बनाने पर जोर दिया है।
दो चरणों में पूरा होगा महाअभियान
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जनगणना की संदर्भ तिथि (Reference Date) 1 मार्च 2027 को रात 12 बजे (00:00 बजे) तय की गई है। हालांकि, बर्फ से ढके पहाड़ी क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 रहेगी। पूरी प्रक्रिया को दो मुख्य चरणों में बांटा गया है।
पहले चरण में मकान सूचीकरण और आवास जनगणना (HLO) होगी, जिसे अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 के बीच पूरा किया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में जनसंख्या की गिनती (PE) शुरू होगी। यह चरण फरवरी 2027 से शुरू होगा। पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में यह काम सितंबर 2026 से ही शुरू कर दिया जाएगा।
जाति गणना और डिजिटल विकल्प
इस बार की जनगणना में कुछ बड़े बदलाव भी देखने को मिलेंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया कि जनगणना 2027 में जाति गणना को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, नागरिकों को ‘स्व-गणना’ (Self-enumeration) का विकल्प भी मिलेगा, जिससे लोग अपना डेटा खुद ऑनलाइन भर सकेंगे।
इस विशाल कार्य को पूरा करने के लिए लगभग 30 लाख जमीनी कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे। सरकार का अनुमान है कि इससे करीब 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा। डेटा को सुलभ बनाने के लिए ‘जनगणना-एक-सेवा’ (CaaS) जैसी पहल भी शुरू की जाएगी।
कोयला नीति में बड़े सुधार
कैबिनेट ने ऊर्जा क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए ‘कोयला लिंकेज नीति में सुधार: कोलसेटू’ (CoalSETU) को मंजूरी दी है। यह 2016 की नीति के तहत एक नई व्यवस्था होगी। इसके जरिए अब कोयला लिंकेज किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए नीलामी के माध्यम से प्रदान किए जा सकेंगे।
इसके अलावा, कैबिनेट ने खोपरा के 2025 सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को भी अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार का दावा है कि इन फैसलों से न केवल प्रशासनिक डेटा मजबूत होगा, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और किसानों की आय में भी सुधार होगा।










