पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में गुरुवार रात निधन हो गया, जिससे देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम प्रमुख नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। देश की सरकार ने 7 दिन का शोक घोषित किया है और सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। इस दुखद घटना के बाद, उनके अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं, जिसे राजकीय सम्मान के साथ अंजाम दिया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा दिल्ली
सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर उनके आवास पर पहुंच चुका है। जहां पर लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जुट रहे हैं। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने भी उनके निधन के बाद शोक व्यक्त करते हुए अपने स्थापना दिवस के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। सभी प्रमुख नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं और अंतिम संस्कार की तैयारियों में शामिल हैं।
The Government of India has cancelled all programs scheduled for today and has declared a national mourning of 7 days on the demise of Dr Manmohan Singh. His last rites will be conducted with full state honours.
— ANI (@ANI) December 27, 2024
राजकीय सम्मान में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ अंजाम दिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बात की पुष्टि की है।
उनके अंतिम संस्कार की जगह के बारे में सूत्रों से जानकारी मिली है कि यह दिल्ली के किसी प्रमुख स्थान पर होगा। राजघाट के पास उनके लिए एक विशेष समाधि स्थल बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्रियों पं. नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के लिए किया गया था। परिवार से बात करने के बाद अंतिम स्थान का निर्णय लिया जाएगा। इसके अलावा, कभी-कभी नेताओं का अंतिम संस्कार उनके गृह नगर में भी किया जाता है, इसलिये इस मामले में कोई अंतिम निर्णय आज शाम तक लिया जा सकता है।
कैसे होता है राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
देश के पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद, उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ अंजाम दिया जाता है। यह प्रोटोकॉल उनके पद की गरिमा और देश के प्रति उनके योगदान का सम्मान करने के लिए तय किया गया है। आइए जानते हैं इस प्रोटोकॉल में शामिल मुख्य प्रक्रियाओं के बारे में।
तिरंगे में लपेटा जाता है पार्थिव शरीर
जब भी किसी पूर्व प्रधानमंत्री का निधन होता है, उनके पार्थिव शरीर को सबसे पहले तिरंगे में लपेटा जाता है। यह तिरंगा उनके देश के प्रति समर्पण और सेवा का प्रतीक होता है। पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटने के बाद, उन्हें शहीदों की तरह सम्मानित किया जाता है। इसके बाद, शव को अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाया जाता है।
दी जाती है 21 तोपों की सलामी
पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है, जो सम्मान और श्रद्धांजलि का प्रतीक है। यह सलामी सेना द्वारा दी जाती है और देश के शोक का प्रतीक होती है। 21 तोपों की सलामी एक परंपरा है, जिसे पहले से तय किए गए प्रोटोकॉल के तहत दिया जाता है, ताकि दिवंगत नेता के प्रति पूरी सम्मान और श्रद्धा प्रकट की जा सके।
शोक के दौरान पूरे देश में तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है और कोई भी सरकारी आयोजन नहीं होते। यह समय देश के शोक और सम्मान का प्रतीक होता है। अंतिम विदाई सरकारी प्रोटोकॉल के तहत दी जाती है, ताकि उनका योगदान और देश के प्रति उनकी सेवा का सम्मान किया जा सके।
सुरक्षा और सैन्य बैंड की भागीदारी
पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह सुरक्षा उनके परिवार और देशवासियों की भलाई के लिए होती है। इसके अलावा, अंतिम यात्रा में सैन्य बैंड और सशस्त्र बलों के जवानों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। यह सैनिक अपनी पारंपरिक मार्च के साथ अंतिम यात्रा में शामिल होते हैं, जो पूरे देश की ताकत और शोक का प्रतीक होती है।
कहाँ होता है अंतिम संस्कार?
पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार आमतौर पर दिल्ली के प्रमुख स्मारकीय स्थलों पर होता है, जैसे कि जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का अंतिम संस्कार राजघाट परिसर में हुआ था। हालांकि, अंतिम संस्कार का स्थान दिवंगत व्यक्ति और उनके परिवार के धार्मिक विश्वासों के अनुसार निर्धारित किया जाता है। अक्सर, पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही किया जाता है, लेकिन कभी-कभी उनके गृह राज्य में भी अंतिम संस्कार हो सकता है।