इंदौर को स्वाद की राजधानी बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली सराफा चौपाटी का सोना-चांदी व्यापारी विरोध कर रहे हैं। इस मुद्दे पर नगर निगम में मेयर पुष्यमित्र भार्गव की अध्यक्षता में बैठक भी आयोजित की गई थी, जिसमें चौपाटी संचालक और सराफा व्यापारी दोनों मौजूद थे। बैठक के दौरान मेयर ने स्पष्ट कर दिया था कि सराफा से चौपाटी नहीं हटाई जाएगी। इस निर्णय के बाद से ही सोना चांदी व्यापारियों में असंतोष बना हुआ है और वे चौपाटी हटाने के लिए लगातार विरोध कर रहे हैं।
सराफा के चांदी-सोना जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी ने बताया कि हमने चौपाटी के लिए कई वैकल्पिक स्थान सुझाए हैं। इनमें रिवर साइड रोड, पोद्दार प्लाजा, गांधी हॉल और हरसिद्धि क्षेत्र शामिल हैं। शहर में जगह की कोई कमी नहीं है, इसलिए चौपाटी को कहीं भी शिफ्ट किया जा सकता है और उसे सराफा चौपाटी का नाम दिया जा सकता है। जो लोग यहां खाने आते हैं, वे वहां भी आएंगे, ऐसा नहीं है कि वे नहीं जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा चौपाटी पर असामाजिक तत्वों की भीड़ जुटने लगी है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।
यहां हर रोज़ लोग घूमने आते हैं, ऐसे में यहाँ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं भी सामने आती हैं। इसके चलते सराफा की छवि धूमिल हो रही है और हमें आघात पहुंच रहा है। चौपाटी पर फास्टफूड की दुकानें अधिक हो गई हैं, जबकि परंपरागत व्यंजन लगभग गायब हो चुके हैं। नई पीढ़ी फास्टफूड की ओर झुक गई है। हमारी भी मजबूरी है क्योंकि हम सोना-चांदी का व्यापार करते हैं और यहां हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम प्रशासन से हाथ जोड़कर निवेदन करते हैं कि सराफा चौपाटी को यहां से शिफ्ट किया जाए। अगर चौपाटी लगानी ही है तो सराफा को किसी और स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। सराफा की अपनी प्रतिष्ठा और पहचान है, लेकिन मौजूदा हालात में उसका नाम बदनाम हो रहा है। इसी छवि को बचाने और सराफा की गरिमा वापस लाने के लिए हमने “सराफा चौपाटी हटाओ अभियान” शुरू किया है।
शहर में चौपाटी के कई वैकल्पिक ठिकाने
व्यापारी कोमल कोठाना ने बताया कि सराफा चौपाटी को स्थानांतरित करने के लिए महापौर को पहले ही कई विकल्प सुझाए गए हैं। इनमें नेहरू स्टेडियम, गांधी हॉल, रीवर साइड रोड और लालबाग पैलेस जैसी जगहें शामिल हैं, जहां चौपाटी स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि चौपाटी लगाने वाले हमारे अपने भाई हैं और हम भी नहीं चाहते कि उनका कारोबार प्रभावित हो। उन्हें भी एक बेहतर स्थान पर व्यवस्थित किया जा सकता है। महापौर का मानना है कि सराफा चौपाटी अब शहर की पहचान बन चुकी है, लेकिन हमें ऐसा नहीं लगता। इसे हटाकर किसी अन्य स्थान पर उसी नाम और पहचान के साथ शिफ्ट किया जा सकता है।
सराफा में अब तक 250 ड्रिंक एंड ड्राइव के केस
कोषाध्यक्ष एवं व्यापारी अजय लाहोटी ने बताया कि इस विषय पर महापौर और विधायक से चर्चा की जा चुकी है। यह मामला लगभग डेढ़ से दो साल से लंबित है। हमने कलेक्टर ऑफिस के सामने पार्किंग स्थल को संभावित जगह के रूप में दिखाया है। छप्पन दुकान की तर्ज पर वैसी ही चौपाटी यहां भी विकसित की जा सकती है। इसके अलावा, पोद्दार प्लाजा के पीछे करीब 7 एकड़ जमीन खाली पड़ी है, जहां चौपाटी बनाई जा सकती है। साथ ही, किशनपुरा के पीछे नदी किनारे और शेखर नगर फूल मंडी क्षेत्र में भी चौपाटी विकसित करने की संभावनाएं हैं।
सराफा क्षेत्र काफी संकुचित है, जबकि दूसरी जगह पर अधिक खुला क्षेत्र उपलब्ध होगा। यदि कभी कोई हादसा हो जाए तो नुकसान की कल्पना भी नहीं की जा सकती। गैस लाइन जैसी व्यवस्थाएं भी नई जगह पर आसानी से डाली जा सकती हैं। चौपाटी को धरोहर कहा जा रहा है, लेकिन वर्तमान हालात में यह धरोहर जैसी नहीं रह गई है। रात 11 बजे के बाद यहां परिवार आना पसंद नहीं करते, बल्कि पब से निकलने वाले युवक-युवतियां ही अधिक आते हैं। हाल ही में टीआई ने यहां 250 ड्रिंक एंड ड्राइव के चालान भी बनाए थे। अब यहां पारिवारिक माहौल नहीं बचा है, जबकि हमारी इच्छा चौपाटी के व्यवसाय को आगे बढ़ाने की है।